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जयपुर (राजस्थान) – राजस्थान उच्च न्यायालय ने एक प्रकरण में महाकालेश्वर मंदिर प्रबंधक को आडे हाथ लिया है । एक महिला मंदिर के प्रतिबंधित क्षेत्र में चली गईं, इस कारण मंदिर के प्रबंधकों ने कडी आपत्ति दर्शाई थी । इस कारण महिला के विरुद्ध अपराध पंजीकृत किया गया । इस कारण सपना निमावत नामक संबंधित महिला ने सीधे ही उच्च न्यायालय जाकर अपने विरुद्ध प्रविष्ट अपराध को चुनौती दी । इस पर न्यायालय ने कहा, ‘महिला प्रतिबंधित क्षेत्र में जाने के पीछे कोई भी अनुचित उद्देश्य नहीं था, साथ ही उसने मंदिर की किसी भी संपत्ति को हानि नहीं पहुंचाई है ।’ ऐसा निरीक्षण प्रविष्ट कर उसके विरुद्ध अपराध रहित करने का आदेश दिया ।
१. महाकालेश्वर महादेवजी सिद्ध धाम मंदिर के प्रबंधकों ने मंदिर के कुछ स्थानों में बॅरिकेड्स (बाधाएं) लगाए हैं तथा सामान्य लोगों को मंदिर के कुछ क्षेत्रों में प्रवेश प्रतिबंधित किया है ।
२. ऐसा होते हुए भी सपना निमावत नामक महिला ने ये बाधाएं लांघकर आगे जाने का प्रयास किया । इस पर से पुलिस ने महिला के विरुद्ध ‘गैरकानूनी पद्धति से प्रवेश करना’, एवं ‘हानि के हेतु से गैरव्यवहार करना’ इन धाराओं के अंतर्गत अपराध प्रविष्ट किया ।
३. इसके विरुद्ध महिला ने उच्च न्यायालय में याचिका प्रविष्ट की । तब न्यायमूर्ति अरुण मोंगा ने कहा, ‘अपराध की धाराएं अनुचित हैं । साथ ही ये महिला अनुसूचित जाति-जनजाति की होने के कारण एवं भारत के इतिहास में अनुसूचित जाति-जनजाति के लोगों को मंदिर में प्रवेश प्रतिबंधित होने के कारण कदाचित मंदिर के प्रबंधकों का ऐसा ही कुछ हेतु हो सकता है । मंदिर कोई प्रबंधकों की निजी संपत्ति नहीं है ।’
संपादकीय भूमिकायदि एकाध अनुसूचित जाति-जनजाति की भक्त एवं वह भी महिला होते हुए उसके विरुद्ध अपराध पंजीकृत होने से यदि वह चुनौति देने हेतु सीधे ही उच्च न्यायालय में जाती है, तो इसके पीछे हिन्दू विरोधी षड्यंत्र तो नहीं है न, इसकी भी जांच होनी चाहिए ! |