गाजियाबाद के महंत यति नरसिंहानंद द्वारा पैगंबर मुहम्मद के कथित अपमान का मामला!
मेरठ (उत्तर प्रदेश) – गाजियाबाद के श्री डासनादेवी मंदिर के महंत और जुना अखाड़े के महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद द्वारा पैगंबर मुहम्मद के कथित अपमान को लेकर राज्य में मुसलमानों द्वारा हिंसक प्रदर्शन किए जा रहे हैं। 7 अक्टूबर को मेरठ, अलीगढ़, आगरा, एटा और कन्नौज जैसे स्थानों पर मुसलमानों ने सड़कों पर उतरकर विरोध प्रदर्शन किया, जो बाद में हिंसक हो गए। मेरठ में पुलिस पर पथराव किया गया। अलीगढ़ में मुस्लिम छात्रों ने भी प्रदर्शन किया। गाजियाबाद में यति नरसिंहानंद के समर्थकों ने भी प्रदर्शन किए ।
1. राज्य की पुलिस ने विभिन्न स्थानों पर 30 नामजद और 150 अज्ञात व्यक्तियों के विरुद्ध मामला दर्ज किया है।
2. कई स्थानों पर मुस्लिम युवा तलवारें और लाठियां लेकर विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए और हिंदू विरोधी व देशविरोधी नारे लगाए।
3. अलीगढ़ में ‘अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय’ के हजारों छात्र विरोध मार्च में शामिल हुए।
4. आगरा में भी ‘उत्तर प्रदेश मुस्लिम महापंचायत’ ने जिलाधिकारी कार्यालय के सामने प्रदर्शन किया। अब तक इस मामले में 16 लोगों को गिरफ्तार किया गया है, जिनमें से 13 को न्यायिक हिरासत में भेजा गया है ।
गाजियाबाद में यति नरसिंहानंद समर्थकों का प्रदर्शन !
महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद के समर्थकों ने गाजियाबाद पुलिस आयुक्त कार्यालय के बाहर प्रदर्शन किया। उन्होंने पुलिस अधिकारियों से यति नरसिंहानंद के बारे में जानकारी मांगी। पुलिस ने यति नरसिंहानंद को 5 अक्टूबर को हिरासत में लिया था। यति नरसिंहानंद सरस्वती फाउंडेशन की महासचिव डॉ. उदिता त्यागी ने बताया कि हमें यह नहीं बताया गया है कि महामंडलेश्वर फिलहाल कहां हैं। अगर वे नहीं मिले, तो हिंदू संगठन 13 अक्टूबर को महापंचायत करेंगे।
यति नरसिंहानंद कौन हैं?
महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद का असली नाम दीपक त्यागी है। यति नरसिंहानंद उच्चशिक्षित हैं। उन्होंने मेरठ और हापुड़ में प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त की। वर्ष 1992 में उन्होंने गणित विषय की ऑलंपियाड प्रतियोगिता में रिकॉर्ड बनाया। इसके बाद उन्होंने रूस की राजधानी मॉस्को से एम.टेक किया। शिक्षा पूरी करने के बाद उन्होंने वस्त्र उद्योग में काम किया और लंदन में भी नौकरी की। वर्ष 1996 में उन्होंने विवाह किया। भारत लौटने के बाद उन्होंने राजनीति में प्रवेश किया और समाजवादी पार्टी के पक्ष में चुनाव जीतकर गाजियाबाद नगर निगम के महापौर बने। वर्ष 2001 में उन्होंने अपनी पत्नी और 2 वर्ष की बेटी का त्याग कर सन्यास ले लिया। वर्ष 2002 में उन्होंने ब्रह्मानंद सरस्वती से दीक्षा ली और उनका नाम यति नरसिंहानंद रखा गया। इसके बाद उन्होंने काफी समय दूधेश्वरनाथ मंदिर में बिताया। कुछ वर्षों बाद संतों ने उन्हें श्री डासनादेवी मंदिर का महंत बना दिया। अब तक उनके *विरुद्ध* विभिन्न मामलों में 80 शिकायतें दर्ज हैं।
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