हिमाचल प्रदेश में शिमला के संजौली उपनगर में एक मस्जिद के अवैध निर्माण के विरुद्ध कार्यवाही के लिए हिन्दुओं का आंदोलन प्रतिदिन जोर पकड रहा है । शिमला महानगरपालिका की अनुमति लिए बिना वहां की मस्जिद पर ३ अवैध मंजिलों का निर्माण किया गया । १ सितंबर को कुछ मुसलमानों ने मलाणा क्षेत्र में यहां के व्यापारी यशपाल सिंह पर आक्रमण कर उनका सिर फोड दिया । इस आक्रमण में यशपाल सिंह बाल-बाल बच गए । यहां की मस्जिद के अवैध निर्माण के विरुद्ध चलाए जा रहे हिन्दुओं के आंदोलन का यही महत्त्वपूर्ण कारण सिद्ध हुआ । ५ सितंबर को ‘देवभूमि प्रादेशिक संगठन’ के अध्यक्ष रुमित सिंह ठाकुर के नेतृत्व में सैकडों नागरिकों ने इस अवैध मस्जिद का घेराव कर अवैध निर्माण तोडने की मांग की । अवैध मस्जिद के विरुद्ध हिन्दुओं का यह आंदोलन कोई तात्कालिक परिणाम नहीं है । यहां के मुसलमानों की प्रतिदिन बढ रही उद्दंडता के विरुद्ध हिन्दुओं की भावनाओं का यह विस्फोट है । इस धर्मांधता को मस्जिद से ही बल मिल रहा है, यह ध्यान में आने के कारण हिन्दुओं ने उक्त कृति की । हिन्दुओं के इस विद्रोह के कारण ही शिमला महानगरपालिका के न्यायालय को इस विषय में तुरंत निर्णय लेना पडा । इस प्रकरण में न्यायालय ने आदेश दिया, ‘आनेवाले ३० दिनों में मस्जिद का अवैध निर्माणकार्य तोड दो, अन्यथा प्रशासन उसे गिरा देगा ।’ इसे एक प्रकार से हिन्दुओं की सफलता माननी पडेगी । शिमला के हिन्दुओं के द्वारा दिखाई गई यह एकजुटता भारत के सर्वत्र के हिन्दुओं के लिए निश्चित ही प्रेरणादायक है । हिन्दुओं को अवश्य ही इस घटना के भिन्न-भिन्न सूत्रों का अध्ययन करना चाहिए । हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस की सत्ता होते हुए भी मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खु तथा ग्रामीण विकास एवं पंचायत राजमंत्री अनिरुद्ध सिंह, इन दोनों ने हिन्दुओं का समर्थन कर मस्जिद का अवैध निर्माण गिराने की भूमिका अपनाई । शिमला महानगरपालिका के न्यायालय ने भी अल्पसंख्यक समाज, धार्मिक स्थल आदि किसी की भी चिंता किए बिना अवैध निर्माण को तोडने का आदेश दिया तथा मुख्य बात यह कि इस अवैध मस्जिद के विरुद्ध हिन्दुओं ने जो एकजुटता दिखाई, वह प्रशंसनीय है; ये तीनों बातें प्रशंसनीय हैं ।
शिमला के हिन्दुओं की यह एकजुटता प्रशंसनीय इसलिए है कि विख्यात इतिहास शोधकर्ता तथा लेखक स्व. पु.ना. ओक ने केवल १-२ नहीं, अपितु हिन्दुओं के अनेक मंदिरों एवं वास्तुओं का विध्वंस कर बनाई गई मस्जिदों के प्रमाण प्रस्तुत किए । कुतुबमीनार, ताजमहल, लाल किला आदि प्रसिद्ध स्थान मुगलों ने नहीं बनाए हैं, अपितु मुगलों ने उनका विध्वंस किया, इस तथ्य को उन्होंने सप्रमाण उजागर किया; परंतु इसके उपरांत भी हिन्दुओं ने कभी भी इस गौरवशाली धरोहर को अपने पूर्वजों का बताने का प्रयास नहीं किया तथा उन्हें पुनः प्राप्त करने की बात तो बहुत दूर रही ! अभी तक केवल श्रीराम मंदिर की समस्या का ही समाधान हो पाया है । देश के लाखों मंदिरों को गिराकर वहां बनाई गई मस्जिदों के विषय अभी भी लंबित हैं । भविष्य में यह सूत्र न भडके; इसके लिए कांग्रेस ने वर्ष १९९१ में ‘प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट’ (प्रार्थनास्थल कानून) लागू कर हिन्दुओं के इन प्राचीन धार्मिक स्थलों को स्थायी रूप से उनसे छीन लिया; परंतु तब भी हिन्दू सडक पर नहीं उतरे । अयोध्या के श्रीराम मंदिर का निर्णय भले ही हिन्दुओं के पक्ष में आया हो; परंतु उत्तर प्रदेश के काशी, मथुरा एवं मध्य प्रदेश की भोजशाला की भूमि पर बनाई गई अवैध मस्जिदों के विषय में चल रहे अभियोग अभी भी लंबित हैं । इसके साथ ही देश के लाखों मंदिरों को गिराकर उन स्थानों पर मस्जिदें बनाई गईं; परंतु हिन्दू उनके प्रति अपेक्षित रूप से जागृत नहीं हैं । हिन्दुओं की यह निद्रित अवस्था भविष्य में उनके प्राणों के लिए संकट बन जाएगी । केवल मंदिर ही नहीं, अपितु धर्मांधों के द्वारा प्रतिदिन लव जिहाद, भूमि जिहाद जैसे अनेक जिहादों के माध्यम से राष्ट्र एवं धर्म पर आघात हो रहे हैं । ऐसा होते हुए भी इसका जो भान पूरे देश के हिन्दुओं को नहीं हुआ, वह शिमला के हिन्दुओं को हुआ तथा उन्होंने एकजुटता दिखाई । इसीलिए यह आंदोलन हिन्दुओं की आंखें खोलनेवाला है ।
पूरे देश के हिन्दुओं को यह कब ध्यान में आएगा ?
‘हिमाचल प्रदेश की मस्जिद के अवैध निर्माण का विरोध’, वह केवल मुसलमानों का धार्मिक स्थल है अथवा वह निर्माणकार्य अवैध है; यह इसके लिए किया गया विरोध नहीं है । हिन्दुओं का इतनी बडी संख्या में सडक पर उतरने का कारण है वहां के मुसलमानों की बढती हुई उद्दंडता ! इस उद्दंडता की आश्रयस्थली है यह अवैध मस्जिद, यह ध्यान में आने पर ही हिन्दुओं ने उसे गिराने की मांग की । उसके कारण हिन्दू संपूर्ण शक्ति के साथ सडक पर उतर गए । ‘प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट’ के कारण प्राचीन धार्मिक स्थलों पर हिन्दुओं का अधिकार स्थायी रूप से समाप्त हुआ, तब भी हिन्दू सडक पर नहीं उतरे थे । उसके कारण प्राचीन धार्मिक स्थल हिन्दुओं के हाथ से चले गए तथा उसके उपरांत मुसलमानों द्वारा अन्य नए-नए धार्मिक स्थलों पर नियंत्रण स्थापित करने के उपरांत भी हिन्दू सडक पर नहीं उतरे, यह दुर्भाग्यपूर्ण है । महाराष्ट्र को बनाने में जिनका योगदान है, उन छत्रपति शिवाजी महाराज के गढ-किलों पर भी अवैध दरगाह एवं मजारों का निर्माण कर मुसलमानों ने उनपर भी अपना अधिकार जताया । मलंगगढ, दुर्गाडी गढ, लोहगढ, विशालगढ, चंदन-वंदन गढ जैसे न जाने कितने गढ-किलों तथा हिन्दुओं के धार्मिक स्थल मुसलमानों ने हडप लिए तथा अभी भी वे हडपने की ओर अग्रसर हैं, तब भी हिन्दू सडक पर नहीं उतरे । इसलिए शिमला की अवैध मस्जिद के विरुद्ध वहां के हिन्दुओं द्वारा दिखाई गई एकजुटता निश्चित ही प्रशंसनीय तथा अनुकरणीय है ।
अयोध्या में श्रीराम मंदिर का निर्माण हुआ, प्रत्येक हिन्दू इससे आनंदित हुआ; परंतु ‘बाबरी का ढांचा तो अतिक्रमण था’, यह प्रमाणित होने के उपरांत भी न्यायालय ने मुसलमानों को बाबरी मस्जिद का निर्माण करने के लिए भूमि आवंटित करने का आदेश दिया, यह सर्वसामान्य लोगों की समझ से परे है । काशी विश्वनाथ एवं मथुरा में भी हिन्दुओं के धार्मिक स्थलों के अनेक प्रमाण मिले हैं; परंतु जब उनके विषय में न्यायालय के निर्णय का समय आएगा, क्या तब भी मुसलमानों के धार्मिक स्थल के लिए सरकार को भूमि आवंटित करनी पडेगी ? हिन्दुओं के मन में ऐसे अनेक प्रश्न उठ रहे हैं । लोकतंत्र में सर्वधर्मसमभाव एवं धर्मनिरपेक्षता का बोझ क्या सदैव केवल और केवल हिन्दुओं के कंधों पर ही रखा जाएगा ?, इस पर हिन्दुओं को कभी न कभी विचार करना होगा । देश में अवैध निर्माणकार्य तो बहुत हैं; परंतु मस्जिदों एवं मदरसों के अवैध निर्माण के माध्यम से हिन्दुओं के सामने उद्दंडता दिखाने का प्रयास किया जाता है, इसके लिए वह घातक है तथा यह घात केवल हिन्दुओं का नहीं है, अपितु देश का भी है; क्योंकि मस्जिदों एवं मदरसों का निर्माण कर सिखाया जाता है कि ‘गैरमुसलमान काफिर हैं’, साथ ही जिहादियों को मस्जिदों में आश्रय दिया जाता है, पिछले कुछ वर्षों से हुई घटनाओं से यह स्पष्ट हो चुका है । इसलिए जो बात शिमला के हिन्दुओं के ध्यान में आई, वह पूरे देश के हिन्दुओं के ध्यान में कब आएगी ? उसके लिए और कितने मंदिरों एवं गढ-किलों पर मस्जिदें तथा मदरसे बनाए जाने की प्रतीक्षा कर रहे हैं हिन्दू ?
केवल अवैध हैं, इसीलिए नहीं; अपितु मस्जिदों तथा मदरसों से हिन्दुओं को जो उद्दंडता दिखाई जाती है, वह देश एवं धर्म के लिए घातक है ! |