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कटक (ओडिशा) – एक अपराध में सहभागी बने अपराधी को ‘वह अपराध के समय अल्पायु था’, यह प्रमाणित करने हेतु उसका फर्जी (बनावटी) विद्यालय हस्तांतरण प्रमाणपत्र न्यायालय के सामने रखा गया था । गवाहों के द्वारा परस्परविरोधी प्रमाण प्रस्तुत करने से यह बात न्यायालय के ध्यान में आते ही उसने शिकायतकर्ता के अधिवक्ता नित्यानंद पांडा को फटकारते हुए कहा, ‘न्याय अंधा हो सकता है; परंतु न्यायाधीश अंधे नहीं हो सकते , तथापि न्यायतंत्र कानून का समर्थन करने हेतु कानूनी व्यावसायिकों की अखंडता पर आधारित होता है ।’ ऐसा कहते हुए न्यायमूर्ति एस.के. साहू ने अंतरिम परिवाद अस्वीकार कर दिया ।
Justice is blind, but judges are not
Orissa High Court rebukes advocate for submitting forged documents
It was revealed that fake documents were presented, claiming the accused was a minor at the time of the crime.
🚩In a Hindu Rashtra, judges would be advanced seekers capable… pic.twitter.com/dIxCbisV5F
— Sanatan Prabhat (@SanatanPrabhat) September 27, 2024
१. एक प्रकरण में अपराध प्रमाणित हुआ था । सनातन हेस्सा नामक अपराधी बनावटी कागजपत्र जमा कर यह कहने का प्रयास कर रहा था कि वह अपराध के समय अल्पायु था ।
२. इससे उसे मिला हुआ दंड अल्प हो सकेगा, ऐसा उसका उद्देश्य था । तथापि कागजपत्रों की वास्तविकता की जांच करते समय असंगति उजागर हुई ।
३. इस कारण ऐतिहासिक निर्णयों का हवाला देते हुए न्यायालय ने अधिवक्ताओं का सत्य संजोने पर जोर दिया । साथ ही अनुकूल निर्णय मिलने हेतु न्यायालय में बनावटी कागजपत्र प्रस्तुत करने की बढती हुई दुष्प्रवृत्तियों के विषय में निराशा व्यक्त की ।
४. न्यायमूर्ति एस.के. साहू ने कहा, ‘ऐसी धोखाधडी के प्रतिपादनों के कारण कानूनी व्यावसायिकों के विश्वास को हानि पहुंचती है तथा न्यायप्रणाली के कामकाज में बाधाएं निर्माण होती हैं । इस कारण जनता का न्यायतंत्र के प्रति विश्वास अल्प हो जाता है ।’
संपादकीय भूमिकाहिन्दू राष्ट्र में न्यायाधीश सूक्ष्म के जानकार, उन्नत साधक होंगे । ऐसे सक्षम न्यायतंत्र के कारण न्याय त्वरित मिलेगा एवं अधिवक्ताओं के द्वारा न्यायालय को फंसाने का प्रश्न ही नहीं उठेगा । इसी कारण से ‘सनातन प्रभात’ पिछले २५ वर्षों से ऐसे हिन्दू राष्ट्र की स्थापना हेतु प्रयत्नरत है ! |