‘विरुद्ध आहार’ एक भिन्न संकल्पना है । बहुत ही संक्षेप में कहना हो, तो ऐसे पदार्थ, जिन्हें एक-दूसरे के साथ खाया गया, तो वे स्वास्थ्य के लिए घातक होते हैं । वर्तमान समय में अनेक बार लोगों के आहार में दिखाई देनेवाले विरुद्ध आहार की सूची यहां दे रहा हूं । अच्छे स्वास्थ्य की इच्छा रखनेवालों ने इन पदार्थाें को टाला, तो उन्हें स्वास्थ्यलाभ होगा ।
१. दूध + फल/नमक/मांस/मछली/खट्टे पदार्थ, इन पदार्थाें को एकत्र अथवा तुरंत आगे-पीछे खाना
२. फीकी दाल चावल + दूध
३. दूध डाली हुई चाय + गेहूं की रोटी/जवार की रोटी/बिस्कुट
४. चाय के साथ नाश्ता (अल्पाहार) लेना
५. मिल्कशेक अथवा दूध में बनाया गया केले का सिखरन
६. दही, साथ ही शहद को गरम करना अथवा उसे गरम पदार्थ पर लेना
७. घी + शहद का मिश्रण समान मात्रा में लेना
८. विशेषकर पंजाबी सब्जियां इत्यादि बनाते समय उसमें दूध अथवा क्रीम इत्यादि डालना
९. सब्जियों की ब्लांचिंग करना (ब्लांचिंग का अर्थ है तंतूजन्य सब्जियां अथवा फलों का रंग, गुणवत्ता एवं पोषक तत्त्व टिकाए रखने हेतु उपयोग की जानेवाली पद्धति)
१०. घी अथवा तले हुए पदार्थ खाने पर ठंडा पानी पीना
११. बासी पदार्थ खाना
१२. फ्रीज का अति उपयोग (विशेषरूप से गुंथा हुआ आटा अथवा पकाए हुए चावल को फ्रीज में रखकर उसे पुनः खाने की पद्धति)
१३. भोजन के समय दूध डाले हुए खीर जैसे पदार्थ संभवतः टालना उचित
अधिकांश स्थानों पर दूध के विकल्प के रूप में नारियल के दूध जैसे किसी भी वनस्पतिजन्य दूध का उपयोग किया जा सकता है । कढी एवं पंचामृत, ये पदार्थ विरुद्ध नहीं है । स्वस्थ्य रखने की इच्छा रखनेवाले सूज्ञ व्यक्ति उक्त दिए गए मिश्रणों को टालने का प्रयास करें । ऐसे मिश्रणों का स्वास्थ्य पर बुरा परिणाम होता रहता है, यह शोध से सिद्ध भी हुआ है । इसमें मात्रा, कालावधि एवं व्यायाम, ये महत्त्वपूर्ण घटक हैं । नियमित व्यायाम करनेवाले व्यक्ति के आहार में कभी-कभी ही उक्त घटकों का सेवन हुआ, तो वह उनके लिए इतना कष्टदायक नहीं होता, ऐसा आयुर्वेद बताता है । उक्त मिश्रणों को छोडकर खानेयोग्य अन्य बहुत पदार्थ हैं, इसलिए ‘खाएं तो क्या खाएं ?’, इस प्रश्न का भी समाधान होता है ।
– वैद्य परीक्षित शेवडे, आयुर्वेद वाचस्पति, डोंबिवली. (१०.८.२०२४)
‘केले का दूध में बनाया गया सिखरन’ आयुर्वेद के अनुसार विरुद्ध आहार ही है !‘दूध में बनाया जानेवाला केले का सिखरन’ महाराष्ट्र में खाया जानेवाला एक पसंदीदा पदार्थ ः वास्तव में देखा जाए, तो कोंकण क्षेत्र में मूल व्यंजन में नारियल का रस एवं केले का मिश्रण होता है । उसमें जहां नारियल सहजता से नहीं मिलता, उस क्षेत्र में इसमें शायद पशु का दूध डालने की पद्धति प्रचलित हुई होगी । उसमें भी नारियल का दूध निकालने की अपेक्षा यह सरल होने के कारण मूल व्यंजन को छोडकर यही पदार्थ घर-घर में प्रचलित हुआ; परंतु दूध + फल का मिश्रण आयुर्वेद के अनुसार विरुद्ध आहार है । एक शोध में निरंतर २८ दिन तक यह आहार लेनेवाले लोगों में केवल यकृत (लिवर) एवं गुर्दे ही नहीं, अपितु हृदय पर भी उसके परिणाम देखे गए हैं । अब क्या कोई प्रतिदिन सिखरन खाता है ? जी हां ! मैंने ऐसे रोगी देखे हैं । विरुद्ध आहार की संकल्पना से अज्ञात लोग प्रतिदिन यह अपथ्य न करते हों; परंतु अन्य भिन्न-भिन्न अपथ्य करते ही होंगे न ! – वैद्य परीक्षित शेवडे (१४.८.२०२४) |