नई दिल्ली – महिलाओं के खिलाफ हिंसा और बच्चों की सुरक्षा आज समाज के लिए एक गंभीर चिंता का विषय है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि महिलाओं की सुरक्षा के लिए देश में कई कठोर कानून हैं और अदालतों को ऐसे मामलों में त्वरित फैसला देना चाहिए।
वह सुप्रीम कोर्ट के ७५ साल पूरे होने के मौके पर राजधानी में आयोजित देशभर के जिला जजों की बैठक में बोल रहे थे । इस अवसर पर कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल, भारत के मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ और सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष कपिल सिब्बल मौजूद थे। “महिलाओं के साथ हिंसा के मामलों में जितनी शीघ्रता से निर्णय लिए जाएंगे, सुरक्षा उतनी ही अधिक सुनिश्चित होगी।”
उन्होंने बताया कि इसके लिए वर्ष २०१९ में सरकार ने ‘फास्ट ट्रैक स्पेशल कोर्ट’ की स्थापना की है और इसके अंर्तगत महत्वपूर्ण गवाहों के लिए गवाह केंद्र का प्रावधान है। यह भी उन्होंने स्पष्ट किया ।
कोलकाता बलात्कार-हत्या मामले के बाद, बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने वर्तमान में प्रधानमंत्री के नाम दो पत्र लिखकर महिलाओं के खिलाफ अपराधों के विरुद्ध कठोर कानून बनाने की मांग की थी।
प्रधानमंत्री ने आगे कहा,
१. महिलाओं पर अत्याचार के मामलों में ‘जिला नियंत्रण समिति’ की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। इनमें जिला न्यायाधीश, कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक और पुलिस आयुक्त शामिल हैं। इन समितियों को और अधिक सक्रिय बनाने की जरूरत है।
२. भारत के लोगों को सुप्रीम कोर्ट, हमारी न्यायपालिका पर हमेशा भरोसा रहा है। इसलिए सुप्रीम कोर्ट के ये ७५ वर्ष ‘लोकतंत्र की जननी’ के रूप में भारत का गौरव बढ़ा रहे हैं।