बांग्लादेश में हिन्दुओं पर जारी आक्रमणों पर अंतर्राष्ट्रीय विषयों के प्रसिद्ध विशेषज्ञ मयंक जैन ने व्यक्त की चिंता !
नई देहली – बांग्लादेश के हिन्दुओं को लगता है कि पड़ोसी भारत के १०० करोड हिन्दू उनके लिए कुछ नहीं कर रहे हैं । ‘नेहरू-लियाकत अली समझौता’ के अनुसार अपने-अपने देश के अल्पसंख्यकों की चिंता उस-उस देश को करनी चाहिए । बांग्लादेश बनने के पश्चात शेख मुजीबुर्रहमान के साथ भी ऐसा ही समझौता हुआ था । परंतु, बांग्लादेश ने उस समझौते के क्रियान्वयन हेतु कभी भी प्रामाणिक प्रयास नहीं किए । अब तो वहां के सभी अल्पसंख्यक हिन्दुओं को भारत में लाना चाहिए । इससे बंगाल और असम में धार्मिक स्तर पर हुआ वर्तमान जनसंख्या अनुपात (इस्लामी कारण) सुधारा जा सकेगा । भारत-बांग्लादेश सीमा पर स्थित हिन्दुओं को भारत में लिया जाना चाहिए । हिन्दुओं की पहचान चिकित्सकीय जांच से सरलता से की जा सकती है । भारत को चाहिए कि वह इन हिन्दुओं को भूमि देकर इनकी रक्षा करे ।
इसी प्रकार, वहां सेना भी भेजनी चाहिए । सीमा सुरक्षा बल, केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल और भारतीय सैन्य के १० हजार ट्रकों को सीमा के २०० किलोमीटर भीतर तैनात करना चाहिए । असम के तेजपुर और बंगाल के बागडोगरा इन भारतीय विमान अड्डों से राफेल उड़ा कर पहरेदारी की जानी चाहिए । इस प्रकार, सैन्य दबाव बना कर बांग्लादेश में हिन्दुओं पर जारी आक्रमणों को रोका नहीं जा सका, तो ढाका पर बमबारी कर वहां के सरकार की बुद्धि ठिकाने पर लानी चाहिए । ये विचार देहली में अंतरराष्ट्रीय विषयों के जानकार मयंक जैन ने ‘सनातन प्रभात’ के प्रतिनिधि से बातचीत में व्यक्त किए ।
जैन ने वर्ष २००१ में ‘बांगला क्रिसेंट’ नामक एक बोध चलचित्र दिग्दर्शित किया था । उन्होंने उसमें भारत-बांग्लादेश सीमा पर स्थित राज्यों में मुसलमानों की बढ़ती जनसंख्या और हिन्दुओं की दयनीय स्थिति पर प्रकाश डाला था ।