Exclusive News : महाराष्ट्र में संस्कृत भाषा की उपेक्षा; सरकारी सहायता के अभाव में पुरस्कार बंद पडने की संभावना !

  • सरकार की ओर से १८ लाख से अधिक रुपयों की सहायता मिलना शेष !

  • वर्ष २०१५ से संस्कृत के लिए सरकारी सहायता नहीं; परंतु उर्दू के लिए करोडों रुपयों का व्यय !

श्री. प्रीतम नाचणकर

मुंबई, १४ अगस्त (संवाददाता.) – राज्य सरकार की सहायता के अभाव में महाराष्ट्र में ‘महाकवी कालिदास संस्कृत साधना पुरस्कार’ बंद करने की नौबत आई है । सहायता देने के मंत्रियों के आश्वासन पर विश्वास रखते हुए ‘कवी कालिदास संस्कृत विश्वविद्यालय’ ने वर्ष २०१५ से २०२१ तक के ६ वर्षों के पुरस्कार वर्ष २०२१ में अपने खर्चे से स्वयं दिए; परंतु यह समारोह होकर ३ वर्ष होने के उपरांत भी सरकार ने पुरस्कार की राशि तथ समारोह में हुआ व्यय महाविद्यालय को नहीं दिया है । सरकार के पास इस पुरस्कार की सहायता के लिए १८ लाख १७ सहस्र रुपयों की राशि शेष है । दूसरी ओर उर्दू भाषा के लिए प्रतिवर्ष सरकार द्वारा करोडों रुपयों का व्यय किया जा रहा है ।

राज्य सरकार के उच्च और प्रौद्योगिकी शिक्षा विभाग द्वारा यह पुरस्कार दिया जाता है । वर्ष २०२१ में उच्च और प्रौद्योगिकी शिक्षा मंत्री उदय सामंत की उपस्थिति में वर्ष २०१५ से २०२१ तक न दिए गए पुरस्कार दिए गए । इस समय मंत्री उदय सामंत ने आश्वासन दिया कि ‘पुरस्कार के लिए महाविद्यालय व्यय करे’, बाद में सरकार द्वारा धन दिया जाएगा; परंतु अभी तक यह धनराशि महाविद्यालय को नहीं दी गई है । वर्तमान में भाजपा के  चंदक्रांत पाटील उच्च और प्रौद्योगिकी शिक्षा मंत्री हैं । उनके पास भी इस महाविद्यालय ने सहायता के लिए समय-समय पर मांग की; परंतु महाविद्यालय को अभी भी वित्तिय सहायता नहीं मिली है ।

वित्तिय सहायता जब तक नहीं मिलेगी, तब तक पुरस्कार नहीं देंगे ! – कवी कालिदास संस्कृत विश्‍वविद्यालय, नागपुर

पुरस्कार प्रदान करने के संदर्भ में दैनिक ‘सनातन प्रभात’ के प्रतिनिधि ने कवी कालिदास संस्कृत विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग से संपर्क किया, तब पदाधिकारियों ने बताया कि महाविद्यालय ने इसके पहले पुरस्कार हेतु व्यय किए पैसे सरकार द्वारा अभी भी प्राप्त नहीं हुए हैं । इसलिए जब तक सहायता की धनराशि प्राप्त नहीं होगी, तब तक पुरस्कार प्रदान न करने की स्पष्ट भूमिका महाविद्यालय ने अपनाई है ।

उर्दू भाषा के लिए प्रतिवर्ष करोडों रुपए; परंतु संस्कृत का उपहास !

उर्दू भाषा के प्रचार हेतु सरकार ने दी प्रतिवर्ष की आर्थिक सहायता
वर्ष  ‘उर्दू घरों’ के लिए आर्थिक सहायता (रुपयों में) उर्दू अकादमी के लिए आर्थिक सहायता (रुपयों में)
वर्ष २०१४ – १५ १ करोंड ८८ लाख ६८ लाख
वर्ष २०१५  – १६ २ करोंड ४९ लाख
वर्ष २०१६  – १७ ४ करोंड ४० लाख ८० लाख
वर्ष २०१७  – १८ ४ करोंड ७ सहस्त्र ८० लाख
वर्ष २०१८  – १९ ५ करोंड २३ लाख ४४ लाख
वर्ष २०१९ – २० ५ करोंड १० लाख ७२ लाख
वर्ष २०२०  – २१ ३ करोंड २७ लाख १३ लाख
वर्ष २०२१ – २२ ३ करोंड ५० लाख ६५ लाख
वर्ष २०२२  – २३ २ करोंड ९३  लाख ५५ लाख
वर्ष २०२३  – २४ ४ करोंड ८ सहस्त्र ४८ लाख

वर्ष २०१५ से महाराष्ट्र सरकार ने उर्दू भाषा का प्रचार और प्रसार करनेके लिए बनाए ‘उर्दू घरों’ के लिए २९ करोड ६० लाख १५ सहस्र रुपयों की सहायता की है और साथही उर्दू साहित्य के प्रचार हेतु उर्दू अकादमी को वर्ष २०१५ से ५ करोड २५ लाख रुपयों की सहायता की है; परंतु संस्कृत भाषा का प्रचार और प्रसार करने हेतु पूरे वर्ष में एकमात्र महाकवी कालिदास संस्कृत साधना पुरस्कार के लिए प्रतिवर्ष आवश्यक ऐसी १ लाख ५० सहस्र रुपयों की राशि सरकार नहीं दे रही है ।

१२ वर्षों में संस्कृत भाषा के पुरस्कार में १ रुपए की भी वृद्धि नहीं !

सरकार ने वर्ष २०१२ से ‘कवी कालिदास संस्कृत साधना पुरस्कार’ देना आरंभ किया । इसमें ८ प्रकार के पुरस्कार दिए जाते हैं । प्राचीन संस्कृत पंडित, वेदमूर्ति, संस्कृत शिक्षक, संस्कृत अध्यापक, संस्कृत कार्यकर्ता आदि को ये पुरस्कार दिए जाते हैं । इनमें से प्रत्येक पुरस्कार के लिए २५ सहस्र रुपयों की रोकड राशि दी जाती है । पीछले १२ वर्षों में इस राशि में सरकार ने १ रुपए की भी वृद्धि नहीं की है । इसके विपरीत उर्दू भाषा के प्रचार हेतु सरकार प्रतिवर्ष करोडो रुपए व्यय करती है ।

‘यह पुरस्कार प्रतिवर्ष संस्कृत दिन पर दिया जाए’, सरकारी आदेश में ऐसा स्पष्ट उल्लेख है; परंतु पुरस्कार आरंभ होने से आज तक कभी भी संस्कृत दिन पर यह नहीं दिया गया है । २-३ वर्षों के पुरस्कार एकसाथ देकर ये पुरस्कार देने का नाटक पूरा किया जा रहा है ।

इस वर्ष तो संस्कृत दिन पर पुरस्कार की घोषणा की जाए !

इस वर्ष १९ अगस्त को संस्कृत दिन है । इस उपलक्ष्य में ‘कवी कालिदास संस्कृत साधना पुरस्कार’ की शेष राशि तथा पीछले ३ वर्षों के न दिए गए पुरस्कारों की सरकार घोषणा करें, ऐसी सभी संस्कृत प्रेमियों की अपेक्षा है ।

संपादकीय भूमिका 

  • हाल ही में घोषित १२ सांस्कृतिक पुरस्कारों के अंतर्गत सरकार की ओर से प्रत्येक विजेता को १ लाख रुपए दिए जाएंगे । पुरस्कार में कितनी राशि मिलती है ?, इसकी अपेक्षा पुरस्कार प्राप्त होना महत्त्वपूर्ण होता है । तथापि अन्य पुरस्कारों की तुलना में ‘कवी कालिदास संस्कृत साधना पुरस्कार’ की राशि अत्यंत अल्प क्यों ? उसमें वर्षानुवर्ष वृद्धि क्यों नहीं की जाती ?, इन प्रश्नों के उत्तर जनता को मिलने चाहिए !
  • कहां संस्कृत का महत्त्व जाननेवाले विदेशी नागरिक, तो कहां उसका उपहास करनेवाले स्वतंत्रता के पश्चात के ७७ वर्षों के राज्यकर्ता ! इससे ‘उगता है, वहा बिकता नहीं’, ऐसा चित्र निर्माण हुआ है । यह बात आज तक के सभी राज्यकर्ताओं के लिए लज्जाजनक !