कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला का अपमानजनक बयान
श्रीनगर – जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला के भारतीय सेना को लेकर दिए गए अमर्यादित बयान से नया विवाद खड़ा हो गया है। फारूक अब्दुल्ला ने गंभीर आरोप लगाया है कि देश की सीमा पर सेवारत सुरक्षा बलों एवं आतंकियों के बीच मिलीभगत है । उनके इस वक्तव्य पर तीखी प्रतिक्रियाएं आ रही है । देश की सीमाओं पर सुरक्षा बल सेवारत होते हुए भी घुसपैठ कैसे हो सकती है? फारूक अब्दुल्ला ने यह प्रश्न किया है। सीमा पर मादक पदार्थों की तस्करी भी की जाती है। फारूक अब्दुल्ला ने कहा है कि सेना एवं आतंकियों के बीच मिलीभगत है ।
फारूक अब्दुल्ला जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ जिले में कार्यकर्ताओं को संबोधित कर रहे थे। फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि सैकड़ों की संख्या में आतंकी देश में कैसे घुस रहे हैं इसका उत्तर मिलना चाहिए। (कश्मीर में पाक प्रेमियों की संख्या कम नहीं है। इसके कारण पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवादियों द्वारा कश्मीर में आतंकवादी गतिविधियाँ करने के कई उदाहरण हैं! – संपादक) इसके लिए किसी को उत्तरदायी ठहराया जाना चाहिए। सीमा केंद्र सरकार का विषय है और देश के गृह मंत्री एवं रक्षा मंत्री को इस संबंध में बोलना चाहिए।
फारुख अब्दुल्ला के आरोप दुर्भाग्यपूर्ण! – गुलाम नबी आजाद
गुलाम नबी आजाद के नेतृत्व वाली ‘डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी’ (‘डीपीएपी’) ने फारूक अब्दुल्ला के अपमानजनक भाषण पर आपत्ति जताई है। डीपीएपी ने कहा है कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि फारूक अब्दुल्ला भारतीय सेना की वीरता पर प्रश्न चिन्ह लगा रहे है । ‘डीपीएपी’ के प्रवक्ता श्री अश्वनी हंडा ने कहा, फारूक अब्दुल्ला का यह बयान देश के लिए बलिदान देने वाली भारतीय सेना की वीरता पर संदेह करने जैसा है।
संपादकीय भूमिकायदि देशभक्त यह मांग करें कि भारतीय सेना पर निराधार आरोप लगाकर उन्हें मानसिक रूप से प्रताड़ित करने वाले ऐसे राजनेताओं पर देशद्रोह का मुकदमा चलाकर बंदी बनाया जाए तो कोई आश्चर्य नहीं होगा! |