Local Guide Helped Terrorists : कठुआ (जम्मू) में हुए आक्रमण में ५ सैनिक वीरतापूर्वक बलिदानी हो गये, जबकि ५ अन्य घायल हो गये !

जवानों पर प्रहार करने वाले आतंकियों की सहायता एक स्थानीय गाइड ने की थी !

कठुआ (जम्मू-कश्मीर) – यहां ८  जुलाई की दोपहर जिहादी आतंकियों के आक्रमण में एक कनिष्ठ आयुक्त अधिकारी समेत 5 जवान वीरगति को प्राप्त हो गये। इसके पश्चात सेना ने इस क्षेत्र को घेर लिया। ९ जुलाई को भी सर्च ऑपरेशन और आतंकियों से मुठभेड़ चल रही है बताई जा रही है। जवानों की ओर से दी गई सूचना के अनुसार, इस आक्रमण को 3 आतंकियों ने मूर्त रूप दिया है। उनके पास अत्याधुनिक हथियार है। इन आतंकियों ने हाल ही में सीमा पार से घुसपैठ की थी। हमले में एक ‘स्थानीय गाइड’ ने भी उनकी सहायता की। पिछले ३  दिनों में अलग-अलग आतंकी हमलों में कुल ७ जवान वीरगति को प्राप्त हो गए है।

(और इनकी सुनिए …) ‘यह लड़ाई तब तक चलती रहेगी जब तक कश्मीर को स्वतंत्रता नहीं मिल जाती !’ – कश्मीर टाइगर्स

इस आक्रमण दायित्व ‘कश्मीर टाइगर्स’ नाम के आतंकी संगठन ने लिया है। इस संगठन को प्रतिबंधित जैश-ए-मोहम्मद की एक शाखा माना जाता है। कठुआ के बदनोटा में भारतीय सेना पर हैंड ग्रेनेड और स्नाइपर गन से आक्रमण किया गया। ये कुछ दिन पूर्व डोडा में मारे गए ३  आतंकियों की मौत का प्रतिशोध है। शीघ्र ही और आक्रमण होंगे। इस आतंकी संगठन ने कहा है कि ये लड़ाई तब तक चलती रहेगी जब तक कश्मीर को स्वतंत्रता नहीं मिल जाती।

शत्रु सहायता अधिनियम का उपयोग करके वर्ष के अंत तक आतंकवाद को समाप्त करने का लक्ष्य !

सेना की योजना इस साल के अंत तक जम्मू क्षेत्र से आतंकवाद समाप्त करने की है। गृह मंत्रालय में हाल ही में हुई एक बैठक के बाद पुंछ, राजौरी, रियासी और कठुआ में सक्रिय 30 आतंकवादियों की सूची बनाई गई है और आतंकवादियों और उनके सहयोगियों को मारने के लिए शत्रु एजेंट कानून को उसके मूल स्वरूप में फिर से लागू करने का निर्णय लिया गया है। इस अधिनियम में आतंकवादियों की सहायता करने और उन्हें बढ़ावा देने के लिए संपत्ति जब्त करने से लेकर आजीवन कारावास और मृत्युदंड तक के दंड का प्रावधान है। इसे वर्ष १९४८  में विदेशी आतंकवादियों और घुसपैठियों को समाप्त करने के लिए बनाया गया था। यद्यपि वर्तमान में ‘यूएपीए’ (गैरकानूनी गतिविधियाँ रोकथाम अधिनियम) लागू है, लेकिन ‘शत्रु सहायता अधिनियम’ अधिक कठोर है।

संपादकीय भूमिका 

यद्यपि कश्मीर से धारा ३७०  हटा दी गई है, किंतु जिहादी आतंकवादी गतिविधियां एक बार पुनः बढ़ रही हैं। अतः जिहादी आतंकवाद को पूरी तरह से नष्ट करने के लिए उसे सहायता करने वाले स्थानीय लोगों को मृत्युदंड की शिक्षा देना आवश्यक है !