वैश्विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव का चौथा दिन (२७ जून) : राष्ट्र, धर्म एवं संस्कृति की रक्षा के प्रयास कैसे करने चाहिए ?
(डिजिटल योद्धा का अर्थ है सामाजिक प्रसारमाध्यमों के द्वारा होनेवाले वैचारिक आक्रमण को रोकनेवाला व्यक्ति)
माध्यमों में हिन्दुत्व के प्रति नकारात्मकता है । आज का युग ‘डिजिटल’ युग है । क्या हम इस ‘डिजिटल’ युग की नई क्रांति में सम्मिलित होने के लिए तैयार हैं ? मुख्य प्रवाह के माध्यम वैश्विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव जैसे बडे कार्यक्रम को प्रसिद्धि नहीं देते । प्रसारमाध्यमों को कैसे ‘मैनेज’ किया जाता है, इसे ध्यान में लेना चाहिए । हिन्दुत्वनिष्ठों को ‘डिजिटल’ योद्धा बनना चाहिए । चलित भ्रमणभाष आज के समय का दोहरा हथियार है । उसका उपयोग कैसे करना चाहिए ?, यह सीख लेना चाहिए । आज यदि वीर सावरकर होते, तो वे भी यही बात कहते । हमारी अगली पीढी हिन्दू राष्ट्र ला सकेगी; इसलिए उसे उसकी भाषा में समझ में आए, इस प्रकार की सामग्री हमें तैयार करनी चाहिए । ‘राष्ट्र प्रथम’ का विचर लेकर काम करनेवाले ३० सेकंड के ‘रिल्स’ (छोटे वीडियो) बनाने पडेंगे । इस प्रकार तैयार किए गए समाचार माध्यमों को देने पडेंगे । ऐसे उपायात्मक सूत्र वीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक के श्री. स्वप्नील सावरकर ने रखे । वैश्विक हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन के चौथे अर्थात २७ जून को संपन्न ‘राष्ट्र, धर्म एवं संस्कृति रक्षा हेतु कैसे प्रयास करने चाहिएं ?’, इस सत्र में ‘हिन्दू संगठनों को प्रभावशाली मीडिया व्यवस्थापन की आवश्यकता’ विषय पर वे ऐसा बोल रहे थे ।
सावरकर ने आगे कहा कि हिन्दुत्वनिष्ठ पाठ्यक्रम से युक्त पत्रकारिता की शिक्षा तैयार की जानी चाहिए । हिन्दुत्वनिष्ठ शिक्षा देनेवाली संस्थाएं खोली जानी चाहिएं । राष्ट्र हेतु यदि हमने १० से १५ वर्ष माध्यमों के लिए परिश्रम किए, तो आगे जाकर हिन्दुत्व के लिए पूरक माध्यम उपलब्ध होंगे । आज हिन्दू शेर अपने-अपने क्षेत्रों में कार्यरत हैं; परंतु उन्हें एकत्र आना चाहिए । वर्तमान समय की वामपंथी विचारधारावाली माध्यमों को बदलने हेतु सत्ताधारियों को दबाव बनाना चाहिए तथा उस प्रकार से दबाव बनाने हेतु हमें अपने माध्यमों को शक्तिशाली बनाना चाहिए ।