श्रीराम नवमी एवं हनुमान जयंती की हार्दिक शुभकामनाएं !

श्रीराम नवमी के दिन रामतत्त्व सामान्य की तुलना में १ सहस्र गुना सक्रिय रहता है । इस बढे हुए तत्त्व का लाभ लेने हेतु श्रीराम नवमी के दिन ‘श्रीराम जय राम जय जय राम ’ नामजप तथा प्रार्थना एवं श्रीराम की अन्य उपासना अधिकाधिक करें ।

श्रीराम नवमी एवं हनुमान जयंती के निमित्त उनके विषय में कुछ विशेष जानकारी…

देवताओं एवं अवतारों की जन्मतिथि पर उनका तत्त्व भूतल पर अधिक सक्रिय रहता है । श्रीरामनवमी के दिन रामतत्त्व सामान्य की तुलना में १ सहस्र गुना सक्रिय रहता है ।

हिन्दू नववर्षारंभ (चैत्र शुक्ल प्रतिपदा) से व्यक्तिगत एवं सामाजिक जीवन में रामराज्य स्थापित करने का संकल्प करें !

सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी का नववर्ष के अवसर पर संदेश

हिन्दुओं की अद्वितीय कालगणना की पद्धति की अलौकिकता का वर्णन करनेवाला…नवसंवत्सरारंभ !

जैसे हिन्दुओं का कोई भी त्योहार मौज-मस्ती का विषय नहीं, अपितु मंगलता, पवित्रता, चैतन्य एवं आनंद का समारोह है, वैसे ही चैत्र शुक्ल प्रतिपदा भी है ! इसकी एक और विशेषता यह है कि यह काल का प्रत्यक्ष भान कराकर जीव को अधिकाधिक अंतर्मुख बना देता है !

चैत्र शुक्ल प्रतिपदा पर वर्षारंभ करने के प्राकृतिक, ऐतिहासिक एवं आध्यात्मिक कारण

ज्योतिष-शास्त्र अनुसार संवत्सरारंभ के आस-पास ही सूर्य वसंतविषुव (Vernal Equinox) पर आता है एवं वसंत ऋतु आरंभ होती है अर्थात सूर्य भ्रूमध्यरेखा को पार करता है तथा दिन-रात का मान समान होता है ।

होली

इस वर्ष २४ मार्च को होली है । होली के दिन अग्निदेवता का तत्त्व २ प्रतिशत कार्यरत रहता है । इस दिन अग्निदेवता की पूजा करने से व्यक्ति को तेजतत्त्व का लाभ होता है ।

महाशिवरात्रि विशेष

शिव शब्द ‘वश्’ शब्द के व्यतिक्रम से अर्थात अक्षरों के क्रम परिवर्तित करने से बना है । ‘वश्’ अर्थात प्रकाशित होना, अर्थात शिव वह है जो प्रकाशित है । शिव स्वयंसिद्ध एवं स्वयंप्रकाशी हैं । वे स्वयं प्रकाशित रहकर संपूर्ण विश्व को भी प्रकाशित करते हैं ।

माघ मेला : गंगास्नान धर्माशास्त्रानुसार करें !

वर्ष २०२४ में माघ मेला १५ जनवरी से आरंभ हो गया है । प्रत्येक वर्ष मकर संक्रांति के साथ इस मेले का आरंभ हो जाता है, जो महाशिवरात्रि के दिन स्नान करने के साथ समाप्त होता है ।

मकर संक्रांति मनाने की पद्धति एवं पर्वकाल में दान का महत्त्व

‘मकर संक्रांति पर सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक पुण्यकाल रहता है । इस काल में तीर्थस्नान का विशेष महत्त्व है । गंगा, यमुना, गोदावरी, कृष्णा एवं कावेरी नदियों के किनारे स्थित क्षेत्र में स्नान करनेवाले को महापुण्य का लाभ मिलता है ।’

श्री दत्त जयंती (दि. २६ दिसंबर २०२३)

मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन मृग नक्षत्र पर सायंकाल भगवान दत्तात्रेय का जन्म हुआ, इसलिए इस दिन भगवान दत्तात्रेय का जन्मोत्सव सर्व दत्तक्षेत्रों में मनाया जाता है  ।