६३ प्रतिशत आध्यात्मिक स्तर प्राप्त कु. तेजल पात्रीकर (संगीत विशारद) की आवाज में ध्वनिमुद्रित किया ‘निर्विचार’ नामजप सुनने के प्रयोग में सम्मिलित साधकों को हुए कष्ट एवं विशेष अनुभूतियां
मन निर्विचार करने के लिए स्वभावदोष एवं अहं का निर्मूलन, भावजागृति इत्यादि के भले ही कितने भी प्रयत्न किए, तब भी मन कार्यरत रहता है । इसके साथ ही किसी देवता का नामजप अखंड करने से भी मन कार्यरत रहता है ।