परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के ओजस्वी विचार

परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी

‘सनातन प्रभात’ नियतकालिक की विशेषता !

     ‘अधिकांश समाचार पत्र केवल समाचार देने के अतिरिक्त और क्या करते हैं ? इसके विपरीत ‘सनातन प्रभात’ राष्ट्र एवं धर्म कार्य करने हेतु प्रोत्साहित करता है।’

– (परात्पर गुरु) डॉ. आठवले

बुद्धीवादी मनुष्य बुद्धी से ईश्वर को समझ सके, इसके लिए विज्ञान की निर्मिति होना !

     ‘कालानुरूप मनुष्य का आध्यात्मिक स्तर घटने लगा, तब मनुष्य को ईश्वर के आंतरिक सान्निध्य में रहकर भाव की स्थीति में रहना, ईश्वर को अनुभव करना असंभव होने लगा । प्रत्येक बात का बुद्धी के स्तर पर अध्ययन होने लगा । इस कारण ‘मनुष्य को बुद्धी से तो ईश्वर समझ में आए’, इसके लिए विज्ञान की नीर्मीति हुई ।

जनता को साधना न सिखाने का परिणाम !

     श्रद्धाहीन एवं बुद्धवादी समाज को विज्ञान के आधार पर ही अध्यात्म समझाना पडता है !

     ‘पूर्व के काल में ‘शब्दप्रमाण’ (बताया हुआ पूर्णतः स्वीकार करना) होने के कारण सभी की ऋषि-मुनि और गुरु द्वारा बताए ज्ञान पर श्रद्धा थी । अब उन पर श्रद्धा न होकर, विज्ञान पर श्रद्धा होने के कारण ‘सनातन संस्था’ एवं ‘महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय’ को वैज्ञानिक उपकरणों के आधार पर सहस्रों प्रयोग कर अध्यात्म सिद्ध करना पड रहा है ।’

– (परात्पर गुरु) डॉ. आठवले