श्रीविष्णु के श्रीजयंतावतार का महान कार्य एवं विशेषताएं !

परात्पर गुरु डॉ. जयंत आठवलेजी श्रीमहाविष्णु के अवतार हैं, ऐसा सप्तर्षि, भृगु ॠषि और अत्रि ॠषि ने नाडीपट्टिकाओं में लिखा है । अनेक संतों ने परात्पर गुरु डॉक्टरजी के अवतारत्व के संदर्भ में बताया है, तो सप्तर्षियों ने परात्पर गुरूदेवजी को श्रीविष्णु का श्रीजयंतावतार कहा है ।

कोरोना संकट के विरुद्ध संघर्ष करते समय सामने आई वास्तविकता बतानेवाले एक डॉक्टर का आत्मकथन !

अप्रैल महीने में मुंबई के चिकित्सालयों में काम करनेवाले चिकित्साकर्मियों को कोरोना का संक्रमण न हो; इसके लिए आधुनिक वैद्यों के लिए परिधान करने हेतु अनिवार्य व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (पीपीई किट का) आधुनिक वैद्य और परिचारिकाओं को अनेक समस्याओं का सामना करना पडता है ।

भावी महाभीषण संकटकाल की दृष्टि से आयुर्वेदीय और होमियोपैथी औषधियां, साथ ही योगासन और प्राणायाम के महत्त्व पर ध्यान दें !

आजकल कई लोग मधुमेह, रक्तचाप, हृदयरोग, तीव्र आम्लपित्त (हाइपर एसिडिटी), घुटनों के दर्द जैसे कई विकारों पर वर्षों से एलोपैथी औषधियों का सेवन कर रहे हैं । उन्हें इन एलोपैथी औषधियों की इतनी आदत पड गई है कि वे इन औषधियों के बिना जीने का विचार भी नहीं कर सकते ।

धूमपान : श्‍वसनतंत्र के विकारों पर प्रतिबंधजन्य आयुर्वेदीय चिकित्सा !

धूम का अर्थ धुआं और पान का अर्थ पीना ! औषधीय धुआं नाक-मुंह से अंदर लेकर उसे बाहर छोडने को धूमपान कहते हैं । श्‍वसनतंत्र से संबंधित वात एवं कफ के विकार, उदा. सरदी, खांसी और दमा न हो और हो जाए, तो शीघ्र स्वस्थ हों; इसके लिए धूमपान (औषधीय धुआं लेना) की चिकित्सा बताई गई है ।

कोरोना विषाणु की रोकथाम हेतु ‘आर्सेनिक आल्ब ३०’ होमियोपैथी औषधि लें !

कोरोना विषाणु के संक्रमण के कारण होनेवाली बीमारी से हमारी रक्षा हो अथवा उसकी रोकथाम हो; इसके लिए आयुष मंत्रालय द्वारा प्रकाशित परिपत्रक में होमियोपैथी की आर्सेनिक आल्ब ३० औषधि सुझाई गई थी । यह प्रतिरोधक औषधि सभी साधक स्मरणपूर्वक लें, यह महर्षिजी की आज्ञा है ।

कानों में निरंतर इयरफोन लगाकर सुनने से श्रवणक्षमता न्यून होती है । इसलिए ऐसा करना टालें !

वर्तमान में अनेक लोग घंटों तक कानों में इयरफोन लगाकर कुछ न कुछ सुनते रहते हैं । कानों में निरंतर इयरफोन लगाकर सुनने से कान की कोशिकाओं पर ध्वनि तरंगें निकट से टकराती हैं । इस कारण श्रवणक्षमता शीघ्र न्यून होती है ।, ऐसा चिकित्सकीय अध्ययन के दौरान ध्यान में आया है ।

श्रीचित्‌शक्‍ति श्रीमती अंजली गाडगीळजी का अमूल्‍य विचारधन !

सनातन संस्था के माध्यम से गुरुकृपायोग के अनुसार अष्टांग साधना करनेवाले प्रत्येक साधक का जीवन एक अनुभूति ही है । साधनायात्रा करते समय गुरुदेवजी ने प्रत्येक साधक को उसकी क्षमता के अनुरूप बहुत ही ज्ञान प्रदान किया है ।

कोरोना की भीषण महामारी के समय आध्यात्मिक बल बढाने के संदर्भ में सनातन प्रभात में बताए नामजप के संदर्भ में इंदौर (मध्य प्रदेश) के हिन्दू जनजागृति समिति के श्री. आनंद जाखोटिया को समझ में आए सूत्र

आजकल कोरोना महामारी पर प्रतिबंधात्मक उपचार के लिए सनातन प्रभात में चिकित्सा, साथ ही आध्यात्मिक बल बढाने हेतु श्री दुर्गादेव्यै नमः ३ बार, श्री गुरुदेव दत्त १ बार, श्री दुर्गादेव्यै नमः ३ बार और ॐ नमः शिवाय १ बार नामजप करने की सूचना पढने को मिली ।

कोरोना विषाणु की रोकथाम हेतु पू. डॉ. मुकुल गाडगीळजी द्वारा बताया नामजप करते समय ६१ प्रतिशत आध्यात्मिक स्तर के साधक श्री. प्रताप सिंह वर्मा को हुई अनुभूति

नामजप करते समय जपमाला से प्रचुर मात्रा में अच्छे स्पंदन प्रक्षेपित हो रहे थे । नामजप करते समय चैतन्य के कारण जपमाला में समाहित मणि हिल रहे थे और श्री दुर्गामाता के चरणों में बार-बार कृतज्ञता व्यक्त हो रही थी ।

जिज्ञासु का सनातन संस्था के रामनाथी, गोवा के आश्रम संबंधी गौरवोद्गार !

 भारतभूमि ऋषि-मुनियों की तपोभूमि है । उनके तप, त्याग और बलिदान से यह धरती अभिसिंचित हुई है, ऐसा मैंने पढा और सुना था । सनातन के रामनाथी आश्रम का अवलोकन करते समय हमने जो बातें पढी और सुनी हैं, वे सत्य हैं, ऐसा अनुभव हुआ ।