काश्मीर के स्थानीय युवकों का आतंकी संगठनों में सम्मिलित होने के कारण केंद्रीय गृहमंत्रालय चिंतित

पिछले कुछ दिनों में मारे गए आतंकियों में से ९० प्रतिशत आतंकी स्थानीय

  • आतंकी गतिविधियां चलाने के लिए इन आतंकियों को कहां से प्रेरणा मिलती है, इसकी सरकार को खोज कर जनता के सामने सच्चाई रखनी चाहिए !
  • कश्मीर को आतंकवादमुक्त करने हेतु आजतक लाखों करोड रुपए खर्च किए गए; परंतु तब भी आतंकवाद का उन्मूलन क्यों नहीं होता, इसका सभी स्तरोंपर चिंतन होना आवश्यक है ! आतंकियों के साथ ही उनके समर्थक और आश्रयदाताओं को ‘आतंकी’ घोषित कर उनके विरुद्ध कार्यवाही करनेपर ही कश्मीर आतंकवादमुक्त होगा !
  • सभी प्रकार की सुविधाएं हाथ में होते हुए भी विगत ७ दशकों से अधिक समयतक देश के एक छोटे से क्षेत्र का आतंकवाद नष्ट करना संभव न होना, स्वतंत्रता के ७३ वर्ष पश्चात के सभी सरकारों के लिए लज्जाजनक ! इसके लिए अब हिन्दू राष्ट्र ही चाहिए !
प्रतीकात्मक छायाचित्र

श्रीनगर – कश्मीर में आतंकी संगठनों में सम्मिलित होनेवाले स्थानीय युवकों की संख्या बढ रही है । इसलिए यह गृहमंत्रालय के लिए यह चिंता का विषय बना हुआ है । ‘एन्डीटीवी इंडिया’के साथ बात करते हुए गृह मंत्रालय के अधिकारी ने यह जानकारी दी । पिछले कुछ दिनों में मुठभेडों में मारे गए आतंकियों में से ९० प्रतिशत आतंकी स्थानीय कश्मीरी ही थे ।

जुलाई २०२० तक गृहमंत्रालय को प्राप्त जानकारी के अनुसार स्थानीय युवक अलग-अलग आतंकी संगठनों में सम्मिलित हुए हैं, ऐसा दिखाई देता है । इनमें से ४५ युवक हिजबुल मुजाहिदीन में, २० युवक लष्कर-ए-तोयबा में, १४ युवक जैश-ए-मोहम्मद में, ७ युवक अल बद्र में, २ युवक अंसार गजवत उल् हिन्द में, १ युवक आईएस्जेके में, तो अन्य १ युवक अन्य संगठन में सम्मिलित हुआ है । यह चिंता का विषय बना हुआ है । इससे पहले किसी युवक के लापता होनेपर उसकी जानकारी उसके परिवारजनों के द्वारा, पडोसियों के द्वारा साथ ही सामाजिक प्रसारमाध्यमों के द्वारा सुरक्षा बलों को दी जाती थी; परंतु अब ऐसी जानकारी कोई नहीं देते । आतंकी के मुठभेड में मारे जाने के पश्चात ही आतंकियों की जानकारी सामने आती है । उनमें से अधिकांश युवकों के स्थानीय होने की बात ध्यान में आई है’, यह भी इस अधिकारी ने बताया ।