मस्जिद हटाने के बारे में बंगाल सरकार की ऒर से कोई प्रतिसाद नहीं
तृणमूल कांग्रेस के काल में जनता के प्राण जायें तो भी चलेगा ; किंतु अल्पसंख्यांकों व उनके धार्मिक स्थलों का कुछ भी नहीं होना चाहिए ; ऎसा प्रतीत होता है कि इसी मानसिकता से सरकार का काम चल रहा है । क्या तथाकथित विकासवादी प्रगतिशील इस संबंध में कुछ बोलेंगे ?
यदि यहां कोई मंदिर होता तो सरकार ने तत्काल मंजूरी दी होती एवं हिंदु उसका विरोध भी नहीं करते , इस का ध्यान रहे !
कोलकाता – कोझीकोड केरल में हुई विमान दुर्घटना के उपरांत, इस प्रकार के अपधात भविष्य में न हों , इसके प्रयत्न चल रहे हैं । ऎसा करने के लिए हवाईपट्टी के सामने सुरक्षा की दृष्टि से कुछ अंतर खाली छोडना आवश्यक होता है , जिससे कोई भी दुर्घटना न हो। कोलकाता के नेताजी सुभाषचंद्र बोस आंतरराष्ट्रीय विमान पट्टन के बगल में भी कुछ जगह खाली छोडने के प्रयत्न हो रहे हैं ; किंतु उसमें एक मस्जिद की अडचन आ रही है । इस मस्जिद को स्थलांतरित करने के लिए विमान प्राधिकरण ने बंगाल सरकार से विनती की है ; किंतु तृणमूल कांग्रेस सरकार की ऒर से कोई सहकार्य नहीं मिल रहा है ऎसा प्राधिकरण का कहना है ।
कोलकाता हवाई अड्डे पर दूसरी हवाईपट्टी बनाने से एक ही हवाई पट्टी पर आनेवाले विमानों की संख्या न्यून करके उन्हें दूसरी ऒर भेजा जा सकता है। यहां बडे विमानों की संख्या अधिक बढने के कारण दूसरी हवाई पट्टी की आवश्यकता भी है । मस्जिद हटाने से हवाई पट्टी की लंबाई ८०० से ९०० मीटर तक बढाई जा सकती है । कोझीकोड की विमान दुर्घटना का मुख्य कारण यही था कि हवाई पट्टी के सामने विमान रूकने के लिए जगह ही नहीं थी , जिसके फलस्वरूप विमान आगे जाकर घाटी में जा गिरा ।