सनातन संस्था के विविध आश्रम तथा सेवाकेंद्रों में प्रस्तावित ‘सौरऊर्जा परियोजना’ के निर्माण में धन अथवा वस्तुरूप में सहायता करें !

‘बिजली’ मनुष्य जीवन का अत्यावश्यक घटक है । संकटकालीन स्थिति में बिजली के अभाव में सभी को असुविधा होती है । ऐसे समय में सौरऊर्जा पर चलनेवाले उपकरणों का उपयोग करना आवश्यक होता है ।

संत भक्तराज महाराजजी के मोरटक्का (मध्य प्रदेश) आश्रम में सेवा के लिए साधक-दंपति की आवश्यकता !

संत भक्तराज महाराजजी द्वारा मोरटक्का (खेडीघाट), जनपद खंडवा, मध्य प्रदेश में निर्मित ‘सद्गुरु सेवा सदन’ आश्रम में विविध सेवाआें के लिए सेवाभाव वृत्ति के साधक-दंपति की आवश्यकता है ।

आज की स्थिति में ‘कोरोना विषाणु’ संक्रमण के कारण मृतक के शरीर पर अग्निसंस्कार करना संभव न हो, तो ऐसी स्थिति में धर्मशास्त्र के अनुसार की जानेवाली ‘पलाशविधि’ !

‘देश में सर्वत्र ‘कोरोना’ विषाणु संक्रमण का प्रकोप बढता ही जा रहा है और उसके कारण अनेक लोगों की मृत्यु भी हो रही है । इस संक्रमण के कारण किसी व्यक्ति की मृत्यु होने पर उसके परिवारजनों को उस व्यक्ति का मृत शरीर नहीं सौंपा जाता ।

कश्‍मीर की जटिल समस्‍या पर कठोर नीति ही एकमात्र विकल्‍प !

‘जम्‍मू-कश्‍मीर का आतंकी संगठन ‘हिजबुल मुजाहिदीन’ का युद्धविराम रद्द कर हिंसा आरंभ करना अनपेक्षित तो था ही नहीं ! हिजबुल मुजाहिदीन का मध्‍यवर्ती केंद्र इस्‍लामाबाद है । साथ ही इस संगठन की निर्मिति पाकिस्‍तान की प्रेरणा से हुई है ।

भारत में सुराज्य बनाएं ! १५ अगस्त

५ अगस्त ! भारत में ‘सुराज्य’ निर्माण करने की स्फूर्ति देनेवाला राष्ट्रीय त्योहार ! आज देश स्वतंत्र है; पर क्या सुराज्य मिला ? नहीं न ! क्योंकि आज भी जनता को पानी, सडक, बिजली आदि मूलभूत आवश्यकताआें के लिए आंदोलन करना पडता है ।

रक्षा (राखी) बंधन

अ. ‘पाताल के बलि राजा के हाथ पर राखी बांधकर, लक्ष्मी ने उन्हें अपना भाई बनाया एवं नारायण को मुक्त करवाया । वह दिन था श्रावण पूर्णिमा ।’

कोरोना विषाणुके प्रादुर्भाव में उत्पन्न आपातकालीन स्थिति में ‘श्रीकृष्ण जन्माष्टमी’ की पूजा कैसे करें ?

‘कोरोना विषाणुआें से प्रभावित क्षेत्रों में जहां संचार बंदी (लॉकडाउन) है, वहां एकत्र आकर पूजा करना संभव नहीं होगा । प्रति वर्ष अनेक स्थानों पर ‘श्रीकृष्ण जन्माष्टमी’ का उत्सव धूमधाम से मनाया जाता है ।

आज के दिशाहीन और तेजहीन युवक !

आज के अधिकांश युवकों के सामने कैरियर को छोडकर अन्य कोई विशिष्ट लक्ष्य और आदर्श नहीं है । जैसे सागर में पाल रहित नौका हवा के साथ कहीं भी भटक जाती है, वैसा आज का युवक है ।

हिन्दू राष्ट्र-स्थापना का उच्च ध्येय सामने रखकर युवा शक्ति को उचित दिशा दिखानेवाले द्रष्टा परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी !

‘शिक्षा लेना, नौकरी करना, पैसा कमाना और मौज करना ही जीवन है’, यह विचार मेरे मन पर बचपन से ही अंकित होने के कारण स्वाभाविक रूप से मेरी तैयारी उसके अनुसार ही हुई ।