जयपुर (राजस्थान) में हिंदू विवाहिता का धर्मांध द्वारा बलात्कार कर धर्मपरिवर्तन

ऐसे वासनांधों को शरीयत कानून के अनुसार सजा देने की मांग मुसलमान कभी नहीं करते हैं, यह ध्यान रखें !
शिकायत ना लिखने वाले पुलिस पर भी गुनाह प्रविष्ट कर उनको कारागृह में डालिए !

सौदी अरेबिया में झूठे ईशनिंदा के मामले में हिरासत में लिए गए हिंदू को छोडा गया !

हिंदुओं को झूठे गुनाहों में फंसाने वाले धर्मांधों की मानसिकता जानिए ! बांगलादेश में इसी प्रकार से हिंदुओं पर आरोप लगाकर उनके घरों पर आक्रमण किए गए थे ! धर्मांधों का यह नया जिहाद है इससे सावधान रहें !

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा आषाढी एकादशी के निमित्त मराठी में ट्वीट कर शुभकामनाएं  !

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने २० जुलाई को आषाढी एकादशी के निमित्त मराठी में ट्वीट कर सभी को शुभकामनाएं दी हैं ।

पाक में १८ वर्ष आयु होने से पहले धर्म बदलने पर प्रतिबंध लाने के प्रस्ताव को एक मंत्री की ओर से विरोध

अल्पसंख्यकों के अधिकारों के विषय सिनेट संसदीय समिति के सदस्य कादरी ने कहा कि, आयु के १८ वर्ष होने से पहले धर्म परिवर्तन किसी की इच्छा पर निर्भर है । उसे कोई रोक नहीं सकता ।

पंढरपुर की पैदल यात्रा की अनुमति देने की मांग करने वाली याचिका उच्चतम न्यायालय ने नकार दी।

कोरोना के कारण पिछले वर्ष पंढरपुर की पैदल यात्रा रद्द की गई थी । इस वर्ष भी राज्य सरकार ने पैदल यात्रा को अनुमति नहीं दी; लेकिन प्रमुख १० यात्राओं को बस द्वारा जाने की अनुमति दी गई है ।

देश में वर्ष २०१४ से २०१९ के समय देशद्रोह के कुल ३२६ गुनाहों में केवल ६ लोगों को ही सजा ! – केंद्रीय गृह मंत्रालय की जानकारी

झारखंड में ४०, हरियाणा में ३१, बिहार, जम्मू-काश्मीर और केरल इन राज्यों में प्रत्येक में २५, कर्नाटक में २२, उत्तर प्रदेश में १७, बंगाल में ८, दिल्ली में ४, तो महाराष्ट्र, पंजाब और उत्तराखंड इन राज्यों में प्रत्येक में एक गुनाह प्रविष्ट किया गया ।

बकरी ईद के लिए कोरोना नियमों में ढील देने पर सर्वोच्च न्यायालय ने केरल की साम्यवादी सरकार से मांगा उत्तर !

केरल में साम्यवादी गठबंधन सरकार ने बकरीद के लिए कोरोना के नियमों में ढील दी है ।

(कहते हैं) ‘भारत द्वारा बनाए गए भवन तोड दिए जाएं !’ – पाकिस्तान की गुप्तचर संस्था की तालिबान को सूचना

पाकिस्तान तालिबान का उपयोग भारत विरोधी गतिविधियों के लिए करेगा, यह विभिन्न उदाहरणों से सिद्ध हो चुका है । इन दोनों के विरुद्ध आक्रामक नीति अपनाना भारत के लिए अनिवार्य है  !

(कहते हैं) ‘रात ९ बजे के बाद बाहर निकलने वाली महिला वैश्या होने पर उसे जान से मार देना चाहिए !’ – केरल के ‘इस्लामी विद्वान’ का फतवा

इस पर महिला आयोग, महिला मुक्ति संघठन आदि चुप क्यों ? मंदिर में प्रवेश के सूत्र पर महिलाओं के अधिकारों की याद दिलाने वाली तथाकथित स्त्रीवादी अब किस बिल में जाकर छिपी है ? कि इन सभी को यह महिलाओं का अपमान नहीं लगता ?