SC Permitted Abortion To Minor : सर्वोच्च न्यायालय द्वारा १४ वर्ष की बलात्कार पीडिता को गर्भपात करने की अनुमति !

नाबालिग बलात्कार पीडिता की याचिका पर निर्णय !

नई देहली – सर्वोच्च न्यायालय ने १४ वर्ष की बलात्कार पीडिता को गर्भपात करने की अनुमति दी है । इस लडकी की गर्भधारणा होकर ३० सप्ताह बीत गए हैं । न्यायालय ने मुंबई के लोकमान्य तिलक चिकित्सालय को गर्भपात करने के लिए तुरंत व्यवस्था करने का आदेश भी दिया । न्यायालय ने इस मामले में १९ अप्रैल को आपातकालीन सुनवाई की थी, जिसमें लडकी की चिकित्सा जांच करने के आदेश दिए थे । नाबालिग लडकी की मां ने इसके पहले मुंबई उच्च न्यायालय में याचिका प्रविष्ट (दाखिल) की थी । ४ अप्रैल को हुई सुनवाई में मुंबई उच्च न्यायालय ने इस नाबालिग लडकी को गर्भपात करने की अनुमति नहीं दी थी । इसके पश्चात लडकी की मां ने सर्वोच्च न्यायालय में याचिका प्रविष्ट (दाखिल) की थी ।

न्यायालय ने कहा कि चिकित्सा ब्योरे में स्पष्टरूप से कहा है कि गर्भपात लडकी के लिए संकटजनक हो सकता है; परंतु बच्चे को जन्म देना उसके लिए अधिक संकटजनक है । यह दुर्लभ घटना है, ऐसा न्यायालय ने कहा है ।

क्या है गर्भपात का नियम ?


‘मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नन्सी’ (एम्.टी.पी.) कानून के अंतर्गत किसी भी विवाहित महिला, बलात्कार पीडिता, अपंग महिला और नाबालिग लडकी को २४ सप्ताहों तक ही गर्भपात करने की अनुमति है । गर्भधारणा २४ सप्ताहों से अधिक हो, तो चिकित्सकिय परामर्श के अनुसार गर्भपात की अनुमति लेनी पडती है । इस कानून में वर्ष २०२० में परिवर्तन किया गया । पीछले वर्ष १६ अकटूबर को सर्वोच्च न्यायालय ने २६ सप्ताह ५ दिन गर्भ धारण की विवाहित महिला की गर्भपात की याचिका अस्वीकार की थी ।