लंदन (ब्रिटन) – ब्रिटेन में १५ सहस्र डॉक्टरों की न्यूनता के कारण स्वास्थ्यसेवा की स्तिथि बुरी हो गया है । ऐसी स्थिति में ब्रिटेन के रोगी अच्छे तथा सस्ते उपचारों के लिए भारत आ रहे हैं । पीछले वर्ष ब्रिटेन से लगभग १ सहस्र २०० रोगी भारत में आए थे । इस वर्ष इस आकडे में दस गुना वृद्धि होकर वह १२ सहस्र होने की संभावना है । ब्रिटेन की ‘एन्.एच्.एस्.’ के (नैशनल हेल्थ सर्विस के) आकडों के अनुसार इस वर्ष मार्च तक ब्रिटेन से ३ सहस्र रोगी उपचारों के लिए भारत में पहले से ही आए हैं ।
भारत और ब्रिटेन में चिकित्साविषयक समझौते के प्रयत्न जारी हैं । ‘लंदन स्कूल ऑफ हायजीन’ और ‘आय.आय.एम्. बेंगलुरू’ इसका ब्योरा बना रहे हैं । शीघ्र ही यह ब्योरा ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषी सुनक को सौंपा जाएगा । समझौता होने पर ही ‘एन्.एच्.एस्.’ ब्रिटेन से भारत जानेवाले रोगियों के उपचारों का व्यय उठाएगी । इससे अधिक रोगी भारत में आएंगे । वर्तमान स्थिति में ‘एन्.एच्.एस्.’ यूरोप के कुछ देशों में उपचारों का व्यय करती है ।
लंदन के जॉर्ज मार्शल ने कहा, ‘‘मुझे हृदयविकार था । ‘एन्.एच्.एस्.’ की ‘वेटिंग लिस्ट’ ८ महीनों की थी । दूसरा विकल्प लंदन के निजी चिकित्सालय में २० लाख रुपयों का व्यय करते हुए शस्त्रकर्म करने का था । फिर मैंने जनवरी में बेंगलुरू जाकर लगभग ५ लाख रुपयों में शस्त्रकर्म करवाया । इसमें विमान का किराया भी अंतर्भूर्त था । मैंने ब्रिटन की ‘एन्.एच्.एस्.’ सेवा और निजी चिकित्सालयों की सेवा भी देखी; परंतु जो देखभाल और सुविधा भारत में मिली, वह कई गुना अधिक अच्छी थी ।’’