पाकिस्तान ने भारत पर उनके देश में आतंकवादियों को मारने का आरोप लगाया !
नई देहली – पाकिस्तान द्वारा उसके देश में हुई आतंकवादियों की हत्या के लिए भारत को उत्तरदायी ठहराए जाने के कारण भारत ने पलटवार किया है। गत वर्ष पाकिस्तान ने सियालकोट तथा रावलकोट में जैश-ए-मोहम्मद तथा लश्कर-ए-तैयबा के एक-एक आतंकवादी की हत्या में भारत की संलिप्तता के पक्के प्रमाण होने का दावा किया है । भारत ने कहा है कि अपने कुकर्मों के लिए दूसरों को दोषी ठहराना उचित नहीं ठहराया जा सकता अथवा (समस्या का) समाधान भी नहीं हो सकता।
१. जैश-ए-मोहम्मद प्रमुख मसूद अजहर का प्रमुख सहयोगी शाहिद लतीफ तथा पठानकोट में भारतीय वायुसेना अड्डे पर २०१६ में हुए आतंकी आक्रमण का सूत्रधार रियाज अहमद उर्फ अबू कासिम गत वर्ष पाकिस्तान में मारे गए थे।
(सौजन्य : TIMES NOW)
२. पाकिस्तान के विदेश सचिव मोहम्मद साइरस सज्जाद काजी ने आरोप लगाया था कि पाकिस्तान में हुई इन हत्याओं में भारत का हाथ है । भारतीय हस्तकों ने पाकिस्तान में हत्याएं करवाई एवं उसके लिए विदेशी धरती पर प्रौद्योगिकी तथा सुरक्षित आश्रय स्थलों का उपयोग किया । ये हत्याएं कराने के लिए उन्होंने अपराधियों, आतंकवादियों तथा संदिग्ध नागरिकों की सहायता प्राप्त की, उन्हें धन तथा सहारा दिया । इसके लिए सामाजिक माध्यम का भी उपयोग किया गया ।
२. पाक के विदेश सचिव मोहम्मद सायरस सज्जाद काजी ने आरोप लगाया कि शाहिद लतीफ की हत्या तीसरे देश में रहने वाले भारतीय हस्तक योगेश कुमार ने इन हत्याओं का षड्यंत्र रचा था, ऐसा जांच से पता चला है । कुमार ने लतीफ का पीछा करने तथा उसे मारने के लिए मोहम्मद उमैर को चुना, जो पाकिस्तान में स्थानीय अपराधियों से संबंध रखने वाला एक तीसरे देश का कर्मचारी है; किन्तु ये कार्य पूर्ण नहीं हो सका ।
पाकिस्तान ने जो बोया अब वही काट रहा है ! – भारत
भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जयसवाल ने कहा कि यह पाकिस्तान द्वारा झूठा तथा घृणित, भारत विरोधी प्रचार प्रसारित करने का प्रयास है। विश्व को यह विदित है कि पाकिस्तान लंबे समय से आतंकवाद, संगठित अपराध तथा सीमा पार अवैध गतिविधियों का केंद्र रहा है। भारत और अन्य कई देशों ने पाकिस्तान को सार्वजनिक चेतावनी दी है कि उसकी आतंकवाद तथा हिंसा की संस्कृति उसे ही नष्ट कर देगी । पाकिस्तान ने जो बोया है, वही काट रहा है । अपने कुकर्मों के लिए दूसरों को उत्तरदायी ठहराना न तो उचित है तथा न ही समस्या का समाधान ही है ।
संपादकीय भूमिका
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