‘अयोध्या’, मथुरा, मायापुरी (हरिद्वार), काशी (वाराणसी), कांचीपुरम्, अवंतिका (उज्जैन) एवं द्वारका ये भारत के सात मोक्षनगर हैं । इसमें ‘अयोध्या’ अग्रणी है ।
हमारे महान ऋषि-मुनियों ने भगवान श्रीविष्णु की अद्वितीय देह का निम्न प्रकार से वर्णन किया है, ‘भगवान श्रीविष्णु की देह में विद्यमान सप्तस्थान अर्थात ये सात नगर हैं । ‘अयोध्या’ श्रीविष्णु का मस्तक है । ‘काशी (काशीपुरी)’ श्रीविष्णु की नासिका है । ‘मथुरानगरी’ श्रीविष्णु का कंठस्थान है, जबकि ‘मायापुरी (हरिद्वार)’ श्रीविष्णु का हृदयस्थान है । ‘द्वारकापुरी’ श्रीविष्णु का नाभिस्थान है तथा तमिलनाडु के ‘कांचीपुरम्’ स्थित ‘शिवकांची’ एवं ‘विष्णुकांची’, ये स्थान श्रीविष्णु की जंघाएं हैं । सांतवा मोक्षनगर ‘अवंतिकापुरी (उज्जैन)’ भगवान श्रीविष्णु का चरणस्थान है । ऋषि-मुनियों के द्वारा किए गए इस वर्णन से भारत का अलौकिक महत्त्व समझ में आता है ।
‘पूर्वसंचित के कारण मनुष्यजन्म प्राप्त कर श्रीविष्णु की भक्ति करना संभव होना तथा श्रीविष्णु की कृपा से श्रीगुरुदेवजी से भेंट होकर मोक्षप्राप्ति हेतु साधना करना’, इससे अधिक मनुष्य का सौभाग्य अन्य क्या हो सकता है ?’
– श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा नीलेश सिंगबाळ (२०.१.२०२४)