न्यूयॉर्क (अमेरिका) – खालिस्तानी आतंकवादी संगठन ‘सिख्स फॉर जस्टिस’ ने पंजाब को भारत से अलग करने के लिए २८ जनवरी को सैन फ्रांसिस्को में जनमत संग्रह कराने की घोषणा की है। इस संगठन द्वारा आए दिन नई-नई कृतियां की जा रही हैं क्योंकि अमेरिका इस संगठन के विरुद्ध कार्रवाई करने की दृष्टि से निष्क्रिय बना हुआ है, जो सार्वजनिक रूप से भारत को बांटने की बात कहता और उस दिशा में कार्यरत है।
इससे पहले यह संगठन २०२१ में लंदन, जिनेवा, २०२२ में इटली, २०२२ में कनाडा के टोरंटो और ब्रैम्पटन तथा २०२३ में ऑस्ट्रेलिया के मेलबर्न में खालिस्तान के लिए जनमत संग्रह करा चुका है।
अमेरिका में खालिस्तान को लेकर 28 जनवरी को रेफरेंडम, भारत के खिलाफ षड्यंत्र रच रहे आतंकी, बाइडेन सरकार नहीं ले रही एक्शन#Khalistan #JoeBiden #HappyLohri #NationalYouthDay #लोहड़ी pic.twitter.com/H4v62vm8j1
— TV27News (@TV27_News) January 13, 2024
अमेरिका के गुरुद्वारे कट्टरवाद की जन्मस्थली !
अमेरिका के हडसन इंस्टीट्यूट के प्रतिवेदन ‘पाकिस्तान डिस्टेबलाइज प्लेबुक: खालिस्तान सेपरेटिस्ट एक्टिविज्म विदिन अमेरिका’ में इस बात का उल्लेख किया गया है कि अमेरिका में कई गुरुद्वारे कट्टरपंथ के अड्डे बन गए हैं। खालिस्तान से संबंधित संगठनों और उनके समर्थकों की सभी गतिविधियों की जांच की जानी चाहिए। भारत प्राय: खालिस्तान समर्थकों के विरुद्ध कार्रवाई की मांग करता रहा है। अमेरिका के कैलिफोर्निया में २५०,००० से अधिक सिख रहते हैं। सैन जोन्स, फ्रेमोंट, एल सोब्रंट, रॉसविले क्षेत्रों में अनेक गुरुद्वारे हैं। फ़्रेमोंट का गुरुद्वारा सबसे बड़ा है। कई गुरुद्वारों की प्रबंधन समितियों पर खालिस्तानी समर्थकों का नियंत्रण है। फ़्रेमोंट के एक गुरुद्वारे पर खालिस्तान समर्थक समूह ´सिख फॉर जस्टिस´ का समर्थन करने का आरोप लगाया गया है। ‘सिख्स फॉर जस्टिस’ संगठन न्यूयॉर्क, लॉस एंजिल्स, मियामी और वाशिंगटन में गुरुद्वारों का प्रबंधन अपने हाथ में लेने का षड्यंत्र रच रहा है।
‘सिख फॉर जस्टिस’ अमेरिका में खालिस्तान की मांग करने वाला एकमात्र संगठन नहीं है, ‘वर्ल्ड सिख पार्लियामेंट’ और ‘सिख यूथ फॉर अमेरिका’ भी इसी दिशा में कार्य कर रहे हैं।
#Khalistaniterrorist organization ‘#SikhforJustice‘ to conduct a Khalistan referendum in America
The #UnitedStates‘ apathy toward the banned organization’s anti-India activities within its borders is akin to provoking India.
India should not limit itself to mere protests but… pic.twitter.com/qMJ3PqEtO2
— Sanatan Prabhat (@SanatanPrabhat) January 13, 2024
संपादकीय भूमिका
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