SFJ Referendum For Khalistan : खालिस्तानी आतंकी संगठन ‘सिख फॉर जस्टिस’ अमेरिका में खालिस्तान के लिए जनमत संग्रह कराएगा !

न्यूयॉर्क (अमेरिका) – खालिस्तानी आतंकवादी संगठन ‘सिख्स फॉर जस्टिस’ ने पंजाब को भारत से अलग करने के लिए २८ जनवरी को सैन फ्रांसिस्को में जनमत संग्रह कराने की घोषणा की है। इस संगठन द्वारा आए दिन नई-नई कृतियां की जा रही हैं क्योंकि अमेरिका इस संगठन के विरुद्ध कार्रवाई करने की दृष्टि से  निष्क्रिय बना हुआ है, जो सार्वजनिक रूप से भारत को बांटने की बात कहता और उस दिशा में कार्यरत  है।

इससे पहले यह संगठन २०२१ में लंदन, जिनेवा, २०२२ में इटली, २०२२ में कनाडा के टोरंटो और ब्रैम्पटन तथा २०२३ में ऑस्ट्रेलिया के मेलबर्न में खालिस्तान के लिए जनमत संग्रह करा चुका है।

अमेरिका के गुरुद्वारे कट्टरवाद की जन्मस्थली !

अमेरिका के हडसन इंस्टीट्यूट के प्रतिवेदन ‘पाकिस्तान डिस्टेबलाइज प्लेबुक: खालिस्तान  सेपरेटिस्ट एक्टिविज्म विदिन अमेरिका’ में इस बात का उल्लेख किया गया है कि अमेरिका में कई गुरुद्वारे कट्टरपंथ के अड्डे बन गए हैं। खालिस्तान से संबंधित संगठनों और उनके समर्थकों की सभी गतिविधियों की जांच की जानी चाहिए। भारत प्राय: खालिस्तान समर्थकों के विरुद्ध कार्रवाई की मांग करता रहा है। अमेरिका के कैलिफोर्निया में २५०,००० से अधिक सिख रहते हैं। सैन जोन्स, फ्रेमोंट, एल सोब्रंट, रॉसविले क्षेत्रों में अनेक गुरुद्वारे हैं। फ़्रेमोंट का गुरुद्वारा सबसे बड़ा है। कई गुरुद्वारों की प्रबंधन समितियों पर खालिस्तानी समर्थकों का नियंत्रण है। फ़्रेमोंट के एक गुरुद्वारे पर खालिस्तान समर्थक समूह ´सिख फॉर जस्टिस´ का समर्थन करने का आरोप लगाया गया है। ‘सिख्स फॉर जस्टिस’ संगठन न्यूयॉर्क, लॉस एंजिल्स, मियामी और वाशिंगटन में गुरुद्वारों का प्रबंधन अपने हाथ में लेने का षड्यंत्र रच रहा है।

‘सिख फॉर जस्टिस’ अमेरिका में खालिस्तान की मांग करने वाला एकमात्र संगठन नहीं है, ‘वर्ल्ड सिख पार्लियामेंट’ और ‘सिख यूथ फॉर अमेरिका’ भी इसी दिशा में कार्य कर रहे हैं।

संपादकीय भूमिका 

  • जब भारत द्वारा प्रतिबंधित संगठन अमेरिका में ऐसी भारत विरोधी गतिविधियां कर रहे हों तो अमेरिका का उसे दुर्लक्षित करना भारत को चिढाने का ही एक प्रकार है। भारत को अमेरिका का केवल निषेध ही नहीं तो उसे ऐसी भाषा में प्रत्युत्तर देने की नितांत आवश्यकता है, जिसे वह समझ सके।!
  • ध्यान दें कि अमेरिका एक आरोपित भारतीय नागरिक को, भारत को सौंपने या उसके विरुद्ध  कार्रवाई करने के स्थान पर ´सिख्स फॉर जस्टिस´ के प्रमुख गुरपतवंत सिंह पन्नू को मारने के कथित षड्यंत्र की कपोल कथा प्रकाशित कर एक भारतीय नागरिक को बंदी बना रहा है।
  • भारत के लिए कनाडा और अमेरिका अब एक ही हार के मोती हैं। इसलिए भारत को इन दोनों देशों से ‘खालिस्तान समर्थक देशों’ की तरह ही व्यवहार करना चाहिए !