Pollution: संसार के सर्वाधिक प्रदूषित शहरों की सूचि में भारत के ६५ शहर, तो चीन के केवल १७ शहर समाविष्ट !

चीन द्वारा जलवायु प्रदूषण अल्प किए जाने का परिणाम

नई देहली – भारत के अनेक शहरों को जलवायु प्रदुषण की समस्या का सामना करना पड रहा है । पहले ‘संसार के सर्वाधिक प्रदूषित शहरों’ की सूचि में चीन के अधिकाधिक शहर समाविष्ट थे; परंतु अब परिस्थिति में परिवर्तन हुआ है । चीन ने शहरों का जलवायु प्रदूषण अल्प करने के लिए कठोर कदम उठाए, जिससे वहां के अनेक शहरों में जलवायु प्रदूषण के स्तर में घटाव हुआ है । वर्ष २०१७ मे, अर्थात ६ वर्ष पूर्व चीन के ७५ शहर, तो भारत के १७ शहर संसार के सर्वाधिक प्रदूषित शहरों की सूचि में अंतर्भूत थे । ६ वर्षाें के उपरांत इस परिस्थिति में पूर्ण परिवर्तन हुआ है । वर्ष २०२२ में १०० सर्वाधिक प्रदूषित शहरों में से ६५ भारत के, तो चीन के केवल १७ शहर थे ।

१. वर्ष २०१४ में चीन के राष्ट्राध्यक्ष शी जिनपिंग ने यह स्वीकार किया था कि, ‘जलवायु प्रदूषण बीजिंग की सबसे बडी समस्या है ।’ तदुपरांत चीन ने अनेक महत्त्वपूर्ण कदम उठाएं ।

२. चीन ने जलवायु प्रदूषण रोकने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर कृति योजना बनाई और उसके लिए लगभग २२.५ लाख करोड रुपयों का प्रावधान किया ।

३. इस योजना के अंतर्गत बीजिंग, शांघाय और ग्वांगझू इन बडे शहरों में वाहनों की संख्या नियंत्रित की । लोह आणि फौलाद जैसे भारी उद्योगों के लिए जलवायु प्रदूषण के नियम कठोर किए । चीन ने अनेक कोयला ऊर्जा परियोजनाएं बंद की और नई परियोजनाएं बनाने पर प्रतिबंध लगाया ।

४. शिकागो विद्यापिठ की ‘एनर्जी पॉलिसी इन्स्टिट्यूट’ के मतानुसार ‘चीन के इन निर्णर्याें के कारण वर्ष २०१४ से २०२१ तक चीन के जलवायु प्रदूषण में ४२.३ प्रतिशत से घटाव हुआ ।’

संपादकीय भूमिका 

जलवायु प्रदूषण रोकने के लिए चीन जो कर सकता है, वह भारत क्यों नहीं कर सकता ?