भोलेपन की आड में छिपा राष्ट्रघाती चेहरा !

जल एवं वायु प्रदूषण के  संदर्भ में एक रैली में  इजरायल के विरुद्ध नारेबाजी करने से एक युवक ने क्षुब्ध होकर ग्रेटा थनबर्ग के हाथ से ध्वनिक्षेपक छीन लिया

नेदरलैंड में कुछ दिन पूर्व जल एवं वायु प्रदूषण के  संदर्भ में एक रैली निकाली गई थी । ऐसी रैली में वास्तव में चर्चा होनी चाहिए प्रदूषणमुक्ति के संदर्भ में; परंतु उसमें चर्चा हुई फिलिस्तीन की मुक्ति के लिए तथा इजरायल के विरोध में ! यह करवाया ग्रेटा थनबर्ग ने ! ग्रेटा एक पर्यावरणवादी के रूप में जानी जाती है; इसलिए उसका इस रैली में भाग लेना स्वाभाविक था; परंतु जब वह इजरायल के विरुद्ध नारेबाजी कर फिलिस्तीन की मुक्ति पर बोलने लगी; तब सभी अचंभित रह गए ।  रैली में सम्मिलित एक युवक ने क्षुब्ध होकर उसके हाथ से ध्वनिक्षेपक छीन लिया तथा उसे विषय से न भटककर प्रदूषण के संदर्भ में बोलने के लिए कहा । उस रैली में उपस्थित अन्य लोगों ने भी उस युवक का समर्थन किया, इसलिए ग्रेटा तथा उसके समर्थकों में रोष उत्पन्न हुआ । उन्होंने उस युवक को व्यासपीठ से नीचे उतारा । तब इतने वर्षाें से पर्यावरणवादी के रूप में जानी जानेवाली ग्रेटा का वास्तविक चेहरा उजागर हुआ । उसने कह तो दिया कि फिलिस्तीन के मुक्त होने से ही जलवायु के संदर्भ में न्याय होगा तथा इसके लिए ही ये प्रयास चल रहे हैं; परंतु सत्य कुछ भिन्न है । अल्पावधि में लोकप्रियता प्राप्त ऐसे लोगों की आड में एक प्रकार से ‘हमास’ का समर्थन करने का ही यह प्रयास है, यह अलग से बताने की आवश्यकता नहीं हैं । ग्रेटा को लगता होगा कि ‘लोग मुझे मानते हैं; इसलिए मैं जो भी कहूंगी, उस पर वे विश्वास करेंगे’; परंतु उसे यह ध्यान रखना चाहिए कि नागरिक इतने पागल नहीं हैं कि किसका समर्थन करना चाहिए तथा किस का विरोध करना चाहिए, यह उनकी समझ में न आता हो !

ग्रेटा थनबर्ग

संवेदनाहीन ग्रेटा !

कुछ दिन पूर्व ग्रेटा ने सामाजिक माध्यमों पर एक पोस्ट डाली थी, जिसमें उसने लिखा था, ‘मैं गाजा के लोगों के साथ हूं । विश्व को एकत्रित होकर तुरंत युद्धविराम की मांग करनी चाहिए । फिलिस्तीनियों को न्याय एवं स्वतंत्रता मिले ।’ केवल २० वर्ष की आयु में ग्रेटा का ऐसी मांग करना आश्चर्यजनक तो है ही; रोषजनक भी है । ‘युद्धविराम की मांग करनेवाली ग्रेटा क्या अपनेआप को इतना बुद्धिमान मानती है’, इस आशय की प्रतिक्रियाएं नागरिकों ने व्यक्त की । उसकी इस मांग से यह तो स्पष्ट है कि ‘वह आतंकियों का समर्थन करती है ।’ फिलिस्तीन के प्रति ग्रेटा की सहानुगभूति उसका ढोंगी मानवतावाद ही दर्शाती है । ऐसी ग्रेटा पर्यावरणवादी के रूप में विश्व की, साथ ही छात्रों की आदर्श कैसे हो सकती है ? वास्तव में सभी को उससे सतर्क रहना चाहिए और ग्रेटा को अपना आदर्श मानना बंद कर देना चाहिए । उसे पर्यावरण एवं प्रदूषण के विषय में बोलने का कोई अधिकार ही नहीं है । जिस आतंकी संगठन ने (हमास ने) अनेक लोगों को बंधक बनाया तथा अनेक लोगों की नृशंस हत्याएं की, ऐसे संगठन का समर्थन करना अनुचित है । हमास ने छोटे बच्चों की भी अत्यंत क्रूरतापूर्ण पद्धति से हत्या की । अनेक लडकियों एवं महिलाओं के साथ पशुवत बलात्कार किए । क्या ग्रेटा को यह सब कभी दिखाई नहीं दिया ? क्या उनका आक्रोश एवं चीखें ग्रेटा को सुनाई नहीं दी ? पर्यावरण के प्रति इतना प्रेम रखनेवाली ग्रेटा मानवता के प्रति इतनी संवेदनहीन क्यों है ? हमास के कारण जहां समस्त विश्व तीसरे विश्वयुद्ध की ओर बढ रहा है, ऐसे में ग्रेटा का यह वक्तव्य तथा सामाजिक माध्यमों पर की गई पोस्ट संपूर्ण विश्व के लिए संकटकारी है । फिलिस्तीन का समर्थन तथा इजरायल का विरोध करने के कारण इजरायल के शिक्षा मंत्रालय ने पाठ्यक्रम से ग्रेटा थनबर्ग का पाठ हटाने का निर्णय लिया । इस निर्णय को अत्यंत उचित कहना पडेगा; क्योंकि जब लोकप्रियता सिर पर सवार हो जाती है, तब विश्व के जाने-माने लोग भी अनुचित वक्तव्य करने लगते हैं । स्वाभाविक रूप से इस निर्णय से ग्रेटा की बातों पर अंकुश लगेगा, साथ ही इससे अन्य पर्यावरणवादी भी सतर्क होंगे । आतंकवाद तथा खालिस्तानवाद का समर्थन करनेवालों के पाठ पढकर छात्र उससे क्या बोध लेंगे ? ऐसे पाठ को हटा देना ही उचित है । अतः इस संदर्भ में इजरायल ने जिस प्रकार से तुरंत उपाय किया, उसकी भांति अन्य राष्ट्रों को भी ऐसे राष्ट्रघाती लोगों के विरुद्ध कठोर भूमिका अपनानी चाहिए ।

दोगले पर्यावरणवादी !

अन्य समय पर मानवाधिकारों का ठेका लेकर काम करनेवाले पर्यावरणवादी अब ग्रेटा की इस भूमिका के विषय में मौन क्यों हैं ? पर्यावरण एवं आतंकवाद, ये दोनों विषय भले ही संपूर्ण विश्व से संबंधित हों; परंतु ये दोनों विषय भिन्न हैं । इसलिए आगे से ग्रेटा को इस प्रकार बचकाने वक्तव्य नहीं करने चाहिए, ऐसा सभी को लगता है । ग्रेटा भले ही ११ वर्ष की आयु से पर्यावरण के क्षेत्र में कार्य कर रही हो; परंतु ‘मुझे सब कुछ समझ में आता है’, इस भ्रम में न रहकर उसे वास्तविकता का भान रखना सीखना चाहिए । वर्ष २०२१ में ग्रेटा ने भारत के देहली में चलाए गए किसान आंदोलन का समर्थन कर खालिस्तानवाद का समर्थन किया था; परंतु अमेरिका में होनेवाले रंगभेद से संबंधित अत्याचार, कश्मीर में हिन्दुओं के नरसंहार, साथ ही पाकिस्तान के अल्पसंख्यकों पर होनेवाले अत्याचारों के विषय में ग्रेटा ने कभी आवाज नहीं उठाई । क्या यह दोगलापन नहीं है ?

वास्तविक प्रदूषणकारियों को खोजें !

राष्ट्रघाती लोग इजरायल को मुसलमान राष्ट्र बनाने के सपने देख रहे हैं । अनेक मान्यवरों ने कहा है कि इजरायल एवं हमास के मध्य चल रहा युद्ध विश्व को तीसरे विश्वयुद्ध की ओर धकेल रहा है, ऐसा होते हुए भी आतंकवाद का समर्थन करने के माध्यम से ये पर्यावरणवादी विश्व का वातावरण दूषित करने का प्रयास कर रहे हैं । अन्य समय पर प्रदूषण का विरोध करनेवाले यही लोग वैचारिक एवं राष्ट्रविरोधी प्रदूषण का कारण बन रहे हैं, यह भी उतना ही सत्य है । ऐसे लोगों से कौन-कौन जुडा है ? उनकी मानसिकता कैसी है ?’,  यह जानना अनिवार्य  है । तभी पर्यावरणप्रेम की आड में छिपे भोलेभाले राष्ट्रघाती चेहरे बडी सहजता से सभी के सामने उजागर होकर उनका रहस्योद्घाटन होगा, यह निश्चित है !