कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रमोद कृष्णम का कांग्रेस को सबक !
नई देहली – भारत भावना प्रधान देश है । कांग्रेस द्वारा सनातन धर्म का विरोध किये जाने के कारण यह पार्टी डूब गई । हम सनातन धर्म का विरोध करने के कारण पराजित हुए, इसमें तथ्य है, ऐसे शब्दों में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रमोद कृष्णम ने ३ राज्यों में कांग्रेस की पराजय पर पार्टी को सबक सिखाया है । वह ए.एन.आई. वृत्तसंस्था से बात कर रहे थे ।
#WATCH | On Congress trailing in MP, Rajasthan and Chhattisgarh, party leader Acharya Pramod Krishnam says, “Opposing Sanatan (Dharma) has sunk the party. This country has never accepted caste-based politics…This is the curse of opposing Sanatan (Dharma).” pic.twitter.com/rertLLlzMS
— ANI (@ANI) December 3, 2023
प्रमोद कृष्णम ने रखे सूत्र !
जातिवाद की राजनीति को इस देश ने कभी भी स्वीकारा नहीं !
६ सितंबर १९९० के दिन पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने संसद में भाषण दिया था । उसे एक बार सबको सुनना चाहिए । यह देश यदि जातिवादी होता, तो पूर्व प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह को घर-घर पूजा गया होता । उन्होंने मंडल आयोग की कार्यवाही कर जाति की राजनीति की । उनसे बडा जातिवादी दूसरा कोई नहीं; लेकिन उनकी अवस्था क्या हुई , यह संपूर्ण देश ने देखा ।
जल्द ही कांग्रेस एम.आई.एम. जैसी पार्टी की दिशा में जाएगी !
यह कांग्रेस की पराजय नहीं, यह वामपंथी विचारधारा की पराजय है । पिछले कुछ दिनों से वामपंथी विचारधारा के लोग कांग्रेस में घुसे हैं । कांग्रेस के अनेक निर्णयों पर इन वामपंथी नेताओं ने प्रभाव डाला है । ऐसे कुछ नेता कांग्रेस को म. गांधी के मार्ग से हटाकर साम्यवादी मार्ग पर ले जा रहे हैं । कांग्रेस पार्टी म. गांधी के विचारों पर मार्गक्रमण करते यहां तक पहुंची है । म. गांधी की सभा का प्रारंभ ‘रघुपति राघव राजाराम, पतित पावन सीताराम’ इन पंक्तियों से होता था । आज इस कांग्रेस को सनातन धर्म की विरोधी पार्टी के रूप में पहचाने जाने लगा है , यह दुर्भाग्य है । कांग्रेस ने ऐसे साम्यवादी नेताओं को समय पर किनारे नहीं किया, तो कांग्रेस की अवस्था जल्द ही एम.आइ.एम. पार्टी जैसी होगी ।
कांग्रेस को सनातन का श्राप लगा !
कांग्रेस नेतृत्व को गंभीरता से विचार करना होगा । कांग्रेस को म. गांधी, नेहरू, इंदिरा गांधी और राजीव गांधी की ही कांग्रेस रहने देनी होगी । कांग्रेस को मार्क्स (साम्यवाद का जनक) के विचारों की ओर जो नेता लेकर जाना चाहते हैं, उन्हें जल्द ही किनारे करना होगा । जिन राज्यों में कांग्रेस की पराजय हुई है, उन राज्यों के उत्तरदायी लोगों को त्वरित त्यागपत्र देना चाहिए । यदि उनमें लज्जा बची होगी, तो वे स्वयं ही तत्काल त्यागपत्र देंगे। कांग्रेस को सनातन का श्राप लगा है ।