सरकार की ओर से प्रत्येक कैदी को इस प्रकार के ग्रंथ उपलब्ध कराए जाएंगे !
आजमगढ (उत्तर प्रदेश) – उत्तर प्रदेश के कारागृहों में बंद कैदी रामायण के सुंदरकांड और हनुमान चालीसा का पाठ करने लगे हैं, ऐसी जानकारी राज्य के कारागृहमंत्री धर्मवीर प्रजापति ने दी । इसके लिए उन्होंने राज्य के सभी कारागृह अधीक्षकों को अधिक ग्रंथ उपलब्ध कराने सहित अन्य सुविधाएं भी उपलब्ध कराने का आदेश दिया है । ‘इस संबंध में किसी भी कैदी को पाठ करने के लिए विवश नहीं किया जाएगा’, ऐसा भी प्रजापति ने स्पष्ट किया । यहां के कारागृह में जाकर कैदियों से संवाद करने के उपरांत वे पत्रकारों से बोल रहे थे ।
सौजन्य जी न्यूज
१. मंत्री धर्मवीर प्रजापति ने कहा कि कैदियों के व्यक्तित्व में सुधार होने के लिए यह प्रयास किया जा रहा है । इसमें कोई भी धार्मिक उद्देश्य नहीं और अनिवार्यता भी नहीं । व्यक्तित्व विकास के लिए श्री हनुमान से अधिक अच्छा गुरु हो नहीं सकता । इसी कारण कैदियों को हनुमान चालीसा का पाठ करने के लिए बताया जाता है । इसके द्वारा वह कारागृह से छूटने के उपरांत समाज में जाकर अच्छा जीवन जीना सीखेंगे । इसके लिए हम उन्हें हनुमान चालीसा उपलब्ध करवा रहे हैं ।
२. मंत्री धर्मवीर प्रजापति ने बताया कि, ‘मैं इसके पूर्व अनेक कारागृहों में जाकर आया हूं । मथुरा और आगरा के कारागृहों में हनुमान चालीसा वितरित की गई है, साथ ही वहां सामूहिक पाठ भी किया गया है । इसके उपरांत वहां कैदियों में पाठ करने के लिए भीड होने लगी । यह स्थिति आजमगढ के कारागृह में भी देखने को मिली । इसी कारण यहां किसी ने धार्मिक ग्रंथों की मांग की, तो उसे तुरंत उपलब्ध कराए जाएंगे । इसके लिए ग्रंथालयों में ग्रंथ रखे जाएंगे । राज्य के सभी कारागृहों में ऐसी व्यवस्था की जा रही है ।’
३. कुछ मुसलमान कैदी भी हिन्दुओं के धर्मग्रंथ पढ रहे हैं । इसी प्रकार अनेक कैदी अन्य धर्म के ग्रंथ पढ रहे हैं, ऐसी जानकारी भी मंत्री प्रजापति ने दी । (हिन्दू कैदियों द्वारा अन्य धर्म की पुस्तक पढने पर उनका धर्मांतरण करने का कोई प्रयास न करें, इस ओर भी ध्यान देना आवश्यक है ! – संपादक)
संपादकीय भूमिकाउत्तर प्रदेश सरकार का अभिनंदनीय निर्णय ! ऐसा देश के प्रत्येक कारागृह में करना चाहिए । साथ ही कैदियों को हिन्दूधर्म की शिक्षा देकर उन्हें धर्माचरण करने के लिए बताना चाहिए । इसके माध्यम से उनकी मनोवृत्ति में बदलाव होने से वे सुसंस्कृत बनेंगे ! |