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बीजिंग (चीन) – चीन सरकार ने निंग्जिया तथा गांसु में मस्जिदों की संख्या भारी मात्रा में अल्प की है । वर्ष २०२० से अर्थात ३ वर्षाें में निंग्जिया में चीन सरकार ने १ सहस्र ३०० मस्जिदें बंद की हैं । यह जानकारी ‘ह्युमन राईटस् वॉच’ संस्था द्वारा किए शोध से सामने आई है । ये दोनों क्षेत्र झिजियांग के बाद सर्वाधिक मुसलमान लोकसंख्या के क्षेत्र हैं । इतना होते हुए भी किसी मुसलमान देश अथवा ‘इस्लामी सहयोग संगठन’ (ओ.आय.सी.) ने इसपर कोई टिप्पणी नहीं की है ।
#China is significantly reducing the number of mosques in Ningxia and Gansu provinces under its “mosque consolidation” policy, in violation of the right to freedom of religion.
Read all about it in today’s Daily Brief: https://t.co/UUTiYSbutI pic.twitter.com/ACTYA4GoMi
— Human Rights Watch (@hrw) November 22, 2023
‘ह्युमन राईटस् वॉच’ संस्था के शोधकार्य में आगे बताया गया है कि,
१. वर्ष २०१६ में चीन की साम्यवादी सरकार द्वारा चीन के धर्मस्थलों का चीनीकरण करने का आवाहन किया जाने पर वहां की मस्जिदों में बडी मात्रा में परिवर्तन होने लगा ।
२. २ अप्रैल २०१८ में सरकार ने आदेश दिया कि इस्लामी धर्मस्थलों का निर्माण और उनके ढांचों पर सरकारी अधिकारियों का नियंत्रण होना चाहिए ।
३. निंग्जिया क्षेत्र के २ गावों की मस्जिदों के ‘सैटेलाईट’ छायाचित्रों का विश्लेषण किया जाने पर ध्यान में आया कि वर्ष २०१९ से २०२१ तक के ३ वर्षाें में ७ मस्जिदों के गुंबज और मीनार तोडे गए हैं ।
४. जोंगवेई शहर के अधिकारियों ने वर्ष २०१९ में बताया था कि २१४ मस्जिदों में परिवर्तन किया गया तथा ५८ मस्जिदें गिराई गईं । ३७ अनधिकृत मस्जिदें बंद की गईं ।
५. इग्लैंड के मैंचेस्टर विश्वविद्यालय के डेविड स्ट्रप और प्लायमाऊथ विश्वविद्यालय की प्रा. हन्ना थेकर ने यह शोधकार्य किया है ।
संपादकीय भूमिकाभाजपा की तत्कालीन नेता नूपुर शर्मा ने इस्लाम का कथित अवमान किया, यह कारण दिखाकर एकसाथ सभी मुसलमान देशों ने भारत सरकार को ही दोषी ठहराया था । वही देश इस्लाम को नष्ट करने की ठाने हुए चीन के विरुद्ध एक शब्द भी नहीं बोलते । क्या इसे उनका कथित इस्लाम प्रेम कहेंगे, दोगलापन कहेंगे या भारतद्वेष कहेंगे ? |