Ramaswamy on Hindu Dharma : हिन्दू धर्म ने ही मुझे स्वतंत्रता दी और राष्ट्राध्यक्ष पद के लिए चुनाव लडने के लिए प्रेरित किया !

अमेरिका के राष्ट्राध्यक्ष पद के चुनाव में लडनेवाले रिपब्लिकन पार्टी के हिन्दू प्रत्याशी विवेक रामास्वामी का कथन !

विवेक रामास्वामी

वॉशिंग्टन (अमेरिका) – हिन्दू धर्म ने मुझे यह स्वतंत्रता दी है कि मैं मेरा नैतिक दायित्व समझ पाऊं । हिन्दू धर्म ने ही मुझे राष्ट्राध्यक्ष पद का चुनाव लडने के लिए प्रेरणा दी, ऐसा वक्तव्य अमेरिका के राष्ट्राध्यक्ष पद के चुनाव में लडनेवाले रिपब्लिकन पार्टी के हिन्दू प्रत्याशी विवेक रामास्वामी ने दिया । १८ नवंबर को ‘द डेली सिग्नल प्लैटफॉर्म’ द्वारा आयोजित ‘द फैमिली लिडर फोरम’ कार्यक्रम में वे बोल रहे थे ।

रामास्वामी ने आगे कहा कि,

१. मैं एक हिन्दू हूं । ईश्वर सत्य हैं, ऐसा मेरा मानना है । ईश्वर ने मुझे एक उद्देश्य से जन्म दिया है । उस उद्देश्य को साकार करना मेरा नैतिक कर्तव्य है ।

२. हमारे धर्म का मूल है कि हम सब में ईश्वर का निवास है । इसीलिए हम सब समान हैं ।

३. इस समय रामास्वामी ने हिन्दू एवं ईसाई धर्म की समानता पर भाष्य किया । आपको क्या लगता है कि मुझे ऐसा राष्ट्राध्यक्ष बनना चाहिए, जो ईसाई धर्म को प्रोत्साहन देगा, कदापि नहीं । मुझे नहीं लगता कि अमेरिकी राष्ट्राध्यक्ष ने ऐसा करना चाहिए । रामास्वामी ने कहा कि मेरा यह कर्तव्य है कि मुझे अमेरिकी मूल्यों के लिए खडा रहना चाहिए और मैं वैसा ही करूंगा ।

विवाहविच्छेद का हिन्दू धर्म में कोई स्थान नहीं ! – रामास्वामी

इस समय रामास्वामी ने कहा, ‘‘विवाह पवित्र है । विवाह के पहले हमें संयम रखना चाहिए । अनिष्ट विचारों से दूर रहना चाहिए । विवाह स्त्री और पुरुष में होता है । विवाहविच्छेद का हिन्दू धर्म में कोई महत्त्व नहीं है । स्त्री और पुरुष ईश्वर की साक्ष्य में विवाहबद्ध होते हैं । परिवार की सुख-समृद्धि के लिए दोनों ईश्वर के सामने वचनबद्ध होते हैं । मेरे विशिष्ट पालन-पोषण के कारण मेरे मन में परिवार, विवाह, माता-पिता आदि के प्रति आदर निर्माण हुआ । मेरे माता-पिता ने ही मुझे सिखाया कि परिवार अपने जीवन का आधार है ।’’

संपादकीय भूमिका 

सत्य तो यह है कि विवाहसंस्था की उपेक्षा करनेवाली और ‘हूक अप कल्चर’ जैसी भयानक प्रथाएं रूढ हुई अमेरिका को विवेक रामास्वामी जैसे हिन्दू नेता ही अधःपतन से बचा सकते हैं !

(हूक अप कल्चर अर्थात एक ही दिन तक लैंगिक अथवा शारीरिक संबंध प्रस्थापित करने की विकृति ! इसमें भावनाओं का कोई महत्त्व नहीं होता ।)

संपादकीय भूमिका 

रामास्वामी के हिन्दू धर्म की महानता बतानेवाले ऐसे वक्तव्य को लेकर यदि कोई अमेरिकी हिन्दूद्वेषी उनकी ‘सैतानी हिन्दू’ कहकर अवमानना करेंगे और भारत के हिन्दूद्रोही उसका समर्थन करेंगे, तो इसमें कोई आश्चर्य नहीं होगा !