मादक पदार्थाें का व्यापार !

पिछले सप्ताह मुंबई पुलिस ने नासिक में छापा मार कर ३०० करोड रुपए से अधिक का व्यवसाय करनेवाले, ससून चिकित्सालय से भागे अथवा भगाए गए ललित पाटील नाम के मादक पदार्थ-तस्कर को पुन: नियंत्रण में लिया । चिकित्सालय में अपनी प्रेमिका के साथ सिगरेट पीते हुए, उनके छायाचित्रों (तस्वीरों) ने चिकित्सालय एवं पुलिस के भ्रष्ट प्रशासन को उजागर कर दिया । ‘देश को हानि पहुंचानेवाले नागरिक को आश्रय देनेवालों को और भी अधिक कठोर दण्ड दिया जाना चाहिए’, ऐसा किसी को लगे, तो चूक नहीं होगा; क्योंकि यह स्पष्ट है कि उनके हाथ ‘गीले’ हुए बिना वे उसके कुकर्माें को स्वीकार नहीं करेंगे । इसलिए सभी ‘अधिकारियों एवं जन प्रतिनिधियों के नाम सामने नहीं आने चाहिए; इसलिए पुणे के कसबा पेठ से कांग्रेस विधायक रवींद्र धांगेकर (जिन पर अनेक आरोप हैं) ने बयान दिया है कि पाटील को कारागृह में ही मार दिया जाएगा । पाटील को पकडे हुए ६ दिन बीतने पर भी आगे कुछ विशेष न होने से इसमें बडे नेता एवं प्रशासकीय अधिकारियों के हाथ होने की चर्चा है । ‘राजनीतिक पार्टियों से ललित पाटील के संबंध’ का एक गंभीर सूत्र सामने आया है । पहले की सरकार ने उसे बंदी नहीं बनाया तथा वर्तमान सरकार के संबंधित नेताओं से उसके संबंध बताए जाते हैं । इसलिए इस वर्ष के चुनाव में राजनीतिक पार्टियां इस सूत्र पर आरोप-प्रत्यारोप करेंगी; किंतु क्या उससे ‘मादक पदार्थाें की समस्या पर सीधा समाधान मिलेगा ?’ यह प्रश्न तो वैसे ही रहेगा । मादक पदार्थाें की निर्मिति तथा बडा व्यापार करनेवाले पाटील ने एक अभियंता से मादक पदार्थ बनाने का प्रशिक्षण लिया था ।

क्या तानाबाना खुलेगा ?

अभिनेता शाहरुख खान के लडके को मादक पदार्थ विरोधी दल के पकडने पर यह बात सानमे आई कि हिन्दी सिने जगत में अनेक अभिनेता-अभिनेत्रियां नियमित रूप से मादक पदार्थ ले रही हैं अथवा कभी न कभी उनका मादक पदार्थ लेना सामने आया था । उस समय यह चित्र भी स्पष्ट हो गया था कि हिन्दी सिने जगत में मादक पदार्थ लेना बहुत पहले से ही ‘सामान्य’ बात हो गई है । तदनंतर इस प्रकरण में भी कुछ साधारण पूछताछ के उपरांत सदा की भांति सब कुछ शांत हो गया । इस प्रकरण के पश्चात कुछ समाचार वाहिनियों ने यह भी बताया कि मुंबई में यह व्यवसाय खुलकर चल रहा है ! इसका चित्रीकरण कर विस्तृत समाचार भी दिए गए । मुंबई, ठाणे, तथा गोवा के विशिष्ट भागों में नाइजीरिया के नागरिक बडी मात्रा में मादक पदार्थ बेचते पाए जाते हैं । वे इतनी गुंडागिरी करते हैं कि कभी-कभी पुलिस भी उनसे दूर रहती है । इतना ही नहीं अपितु लगभग प्रत्येक नगर के रेलवेस्थानक, बसस्थानक, विशेषकर मार्गाें पर बडे पुल, झोपडपट्टियां, कचराकुंड तथा आसपास के फुटपाथ आदि विशेष स्थानों पर अनेक झुग्गियों तथा चोरी-छिपे (किंतु खुले में) मादक पदार्थाें के तस्करों का आना-जाना लगा रहता है । यह सब मार्ग पर जानेवाले सामान्य नागरिकों को दिखाई देता है, वह पुलिस को नहीं दिखता, यह संभव ही नहीं है । विमानपत्तन (हवाई अड्डा) पर प्रत्येक माह मादक पदार्थ ले जानेवाले पकडे जाते हैं । कभी कभी मादक पदार्थाें की बहुतायत वाली ‘रेव्ह पार्टिंयों’ पर छापा डाला जाता है । ध्यान में आया है कि विद्यालय-महाविद्यालयाें से कुछ दूरी पर पान की दुकानों पर भी ये पदार्थ मिलते हैं । ऐसा नहीं हो सकता कि इन सबसे प्रशासन को मूल राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय सूत्र मिल नहीं सकते; किंतु ये सूत्र आपस में जुडे नहीं हैं, क्योंकि कोई प्रशासकीय इच्छाशक्ति नहीं है । केवल दिखावे की कार्यवाहियां होती हैं । मादक पदाथ के तस्करों को ऐसा दंड नहीं दिया जाता कि वे ‘राज्य में प्रवेश करने का दुस्साहस ही नहीं कर सकें’ । जिस तरह से महाराष्ट्र से भी मादक पदार्थों की चिंताजनक गणना सामने आ रही है, क्या अब यह राज्य ‘उडता महाराष्ट्र’ बनने के मार्ग पर है ?


समूल उच्चाटन की चुनौतियां !

वर्तमान प्रतिवेदन के अनुसार, वैश्विक स्तर पर भारत अफीम का चौथा सबसे बडा आयातक तथा मॉर्फीन का तीसरा सबसे बडा आयातक है भारत में ७० प्रतिशत अवैध मादक ‘औषधियां’ समुद्र मार्ग से आती हैं । चीन में ‘हेरोईन’ तथा ‘मेथामफेटामाइन’ का व्यापार अनेक वर्षाें से होता आ रहा है तथा यहां की गुप्तचर एजेंसियों को भी यह अच्छे से ज्ञात है, अपितु कहा जाता है कि वे उनकी सहायता कर रही हैं । जब तक पंजाब की शत्मिक्तशाली युवा पीढी का पाकिस्तानी ड्रग तस्करों ने शिकार नहीं कर लिया तब तक राष्ट्रीय क्षति की अपेक्षित गंभीरता सामने क्यों नहीं आई ?’ इस सूत्र पर ध्यान दिया जाएगा । केंद्र सरकार ने गत २ वर्षों में अमली पदार्थ तस्कराें के विरुद्ध कार्रवाई कडी कर दी है । चाहे वे कितनी भी कडाई कर लें, यह तब तक चलता रहेगा, जब तक सिस्टम से भ्रष्टाचार समाप्त नहीं होता । भारत के सामाजिक न्याय मंत्रालय ने मादक पदार्थाें के व्यापार पर नियंत्रण के लिए वर्ष २०१८ से २०२५  तक की एक योजना बनाई है । इसमें उपचारों से लेकर अन्य एशियाई देशों के तटरक्षकों के साथ समन्वय करने तक सब कुछ का समावेश है । अंतरराष्ट्रीय एवं राष्ट्रीय मादक पदार्थाें के व्यापार को नियंत्रित करने में अनेक चुनौतियां हैं, जैसे ‘डार्क मार्केट’ (ऑनलाईन हो रहा अवैध कालाबाजार) एवं ‘क्रिप्टोकरेंसी, साथ’ ही (आभासी चलन) ‘ड्रोन’द्वारा मादक पदार्थाें का वितरण । भारत में मादक पदार्थाें के तस्कराें के विदेशों के अभारतीय, खालिस्तानी, तथा आइएसआइ आदि से संबंध रहते हैं । मादक पदार्थ न लेने की जागरूकता केवल विद्यालय-महाविद्यालयों में ही सीमित नहीं होनी चाहिए, अपितु इस प्रकरण में संलिप्त प्रत्येक व्यक्ति पर कठोर शासन होना चाहिए । धर्माचरण के संस्कार, संयुक्त परिवार का प्रेम, संवाद, अनुशासन तथा भय, इन सारे मूल्यों का अभाव भी युवा पीढी को मादक पदार्थाें की बलि चढने का एक कारण है । राष्ट्र को विकास एवं विश्वगुरु के स्तर पर ले जाने में जो अनेक चुनौतियां हैं, उनमें यह भी एक महत्त्वपूर्ण चुनौती है ।

भारत में मादक पदार्थाें का व्यापार अल्प करने के लिए सरकार को तत्काल कदम उठाने चाहिए !