प्रयागराज (उत्तर प्रदेश) – ‘भारत देश श्रवण कुमार की भूमि है । यहां वृद्धों की देखभाल करना, भारतीय संस्कृति का अंग है । यह केवल नैतिक नहीं, अपितु वैधानिक रूप से अनिवार्य है और कर्तव्य भी है । माता-पिता की सेवा पितृऋण चुकाने के लिए है’, यह बात अलाहाबाद उच्च न्यायालय ने ८५ वर्षीय छविनाथ की याचिका पर सुनवाई करते समय कही । छविनाथ के साथ उनके बच्चों ने बुरा व्यवहार किया है तथा उन्हें अपनी संपत्ति से अवैध रूप से बेदखल किया है । इसलिए, उन्होंने न्यायालय में याचिका डाली है ।
न्यायालय ने आगे कहा, ‘वृद्धावस्था में लोग केवल शारीरिक कष्ट से नहीं, मानसिक कष्ट से भी लड़ते रहते हैं । प्रायः ऐसा देखा गया है कि संपत्ति मिलने पर बच्चे मां-बाप को असहाय छोड़ देते हैं, जो अनुचित है । बच्चों को श्रवण कुमार जैसा होना चाहिए ।’