वाराणसी (उत्तर प्रदेश) – कांची कामकोटी पीठ के शंकराचार्य शंकर विजयेंद्र सरस्वती वर्तमान में यहां चातुर्मास व्रत महोत्सव के लिए आए हैं । तदुपरांत वे अयोध्या के लिए प्रस्थान करनेवाले हैं । वहां वे राममंदिर आंदोलन के समय पुलिस की गोलीबारी में मृत हुए कारसेवकों के लिए शांति अनुष्ठान और श्राद्ध करनेवाले हैं । १० अक्टूबर को वे अयोध्या जाएंगे और २० दिन वहां रहेंगे । ‘कारसेवकों की आत्मा को शांति मिले’, इस हेतु वे चतुर्दशी के दिन ये विधियां करेंगे ।
कांची पीठ के शंकराचार्य करेंगे कारसेवकों का श्राद्ध…#RamMandir #Ayodhya #Shankaracharya @Alokvishvnath @AU_VaranasiNews pic.twitter.com/OL5nU8OAuW
— Upmita Vajpai (@upmita) October 2, 2023
एक समाचार वाहिनी से बात करते हुए शंकराचार्य ने कहा कि अयोध्या और कांची का संबंध त्रेतायुग से है । सूर्यवंशी राजाओं की कुलगुरु कामाक्षी देवी ही है तथा उन्हींके आशीर्वाद से राजा दशरथ को प्रभु श्रीरामचंद्र पुत्र रूप में प्राप्त हुए थे । ललितोपाख्यान में इस प्रसंग का वर्णन है ।
संपादकीय भूमिकाअब इस घटना का धर्मनिरपेक्षतावादी अर्थात नतद्रष्ट हिन्दुओं द्वारा विरोध होनेपर आश्चर्य नहीं लगना चाहिए ! मजे की बात तो यह है कि धर्मनिरपेक्षतावादी और आधुनिकतावादी एक ओर श्राद्ध को पाखंड कहते है, परंतु कुछ भी कर हिन्दुत्वनिष्ठों का विरोध करने के लिए वे शंकराचार्य को भी प्रश्न करने में पीछे नहीं हटेंगे, यह भी उतना ही सत्य है ! |