Ganapati : गणपति बाप्पा मोरया !

श्री गणेश चतुर्थी

श्री गणेश चतुर्थी अर्थात भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को गणेश जी का अवतरण दिन माना जाता है । इस दिन पूरे देश में गणेश चतुर्थी का त्योहार मनाया जाता है । श्री गणेश चतुर्थी पर भगवान श्री गणेश जी की पूजा की जाती है । कई स्थानों पर सार्वजनिक गणेशोत्सव मनाया जाता है । इस दिन लोग श्री गणेशजी की पूजा हेतु नई मूर्ति घर पर लाते हैं । घर में रखी मूर्ति के अतिरिक्त, इस दिन लाई नई मूर्ति की विधिवत पूजा की जाती है । (Ganeshotsav, Ganesh Chaturthi, Ganapati)

श्री गणेश चतुर्थी पर गणेशजी की नई मूर्ति क्यों लाई जाती है ?

श्री गणेश चतुर्थी पर घर घर में पूरे उत्साह के साथ गणपति की नई मूर्ति लाई जाती है । पूजाघर में श्रीगणेशजी की मूर्ति होते हुए भी नई मूर्ति क्यों लाई जाती है ? इसके पीछे का हम शास्त्र जानकर लेंगे ।

भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी अर्थात गणेश चतुर्थी के दिन धरती पर गणेशतरंगें बहुत अधिक प्रमाण में आती हैं । उन तरंगों का आवाहन गणेशजी की मूर्ति में करने से उस मूर्ति में बहुत अधिक ऊर्जा निर्माण होती है । उस ऊर्जा से भरी मूर्ति की कर्मकांड के कठोर नियमों का पालन करते हुए वर्षभर विधिविधान से पूजा करना अत्याधिक कठिन होता है । इसी हेतु से गणेश चतुर्थी पर गणेश तरंगों के आवाहन के लिए नई मूर्ति लाई जाती है । गणेश तरंगों को अधिक काल तक सहन करना कठिन होता है, इसलिए पूजा के उपरांत उस मूर्ति का भावभक्ति से विर्सजन किया जाता है । ( गणपति की तरंगों में सत्त्व, रज एवं तम का अनुपात ५:५:५ होता है तथा सामान्य व्यक्ति में इनका अनुपात १:३:५ होता है ।)