‘सामान्यतः बोल-चाल की भाषा में हम ऐसा कहते हैं, ‘सूर्य का सवेरे एवं चंद्रमा का रात में उदय होता है ।’ सूर्य के संदर्भ में यह योग्य है, परंतु चंद्रमा के संदर्भ में ऐसा नहीं होता । चंद्रोदय प्रतिदिन भिन्न समय होता है । इसकी जानकारी इस लेख द्वारा समझ लेते हैं ।
१. चंद्रमा प्रतिदिन लगभग ५२ मिनट देर से उगना
चंद्रमा लगभग २७.३ दिनों में आकाश में ३६० डिग्री घूमता है (पृथ्वी की एक परिक्रमा करता है); अर्थात २४ घंटों में आकाश में लगभग १३ डिग्री घूमता है । इसलिए पृथ्वी स्वयं के अक्ष पर २४ घंटों में पूर्ण घूमने के उपरांत और १३ डिग्री अधिक घूमने पर ही चंद्रोदय होता है । पृथ्वी को स्वयं के अक्ष पर १३ डिग्री घूमने में लगभग ५२ मिनट लगते हैं । इसलिए चंद्रमा प्रतिदिन लगभग ५२ मिनट देर से उगता है (टिप्पणी), उदा. किसी पूर्णिमा को चंद्रोदय सायं ६.३० बजे हो, तो अगले दिन वह सायंकाल ७.२२ के आसपास उगेगा, उसके अगले दिन वह रात्रि ८.१४ के आसपास उगेगा इत्यादि ।
टिप्पणी – चंद्रमा की पृथ्वी के सर्व ओर भ्रमण करने की गति एक समान नहीं होती; क्योंकि चंद्रमा की भ्रमणकक्षा लंबगोलाकार होते हुए भी वह पृथ्वी के एकदम केंद्रस्थान पर नहीं है । इसलिए चंद्रमा के पृथ्वी के निकट से जाते समय उसकी गति बढती है और पृथ्वी से दूर जाते समय उसकी गति घट जाती है । इसलिए चंद्रमा प्रतिदिन ४६ से ५८ मिनट देरी से उगता है । इसका औसतन समय ५२ मिनट है ।
२. खगोलीय दृष्टि से महत्त्वपूर्ण तिथियों पर चंद्रोदय होने का समय
‘अमावस्या, शुक्ल अष्टमी, पूर्णिमा एवं कृष्ण अष्टमी’ ये ४ तिथियां खगोलीय दृष्टि से महत्त्वपूर्ण हैं; क्यों सूर्य एवं चंद्रमा में कोण (angle) अमावस्या पर ‘० डिग्री’, शुक्ल अष्टमी के दिन ‘९० डिग्री’, पूर्णिमा के दिन ‘१८० डिग्री’ एवं कृष्ण अष्टमी के दिन ‘२७० डिग्री’ होता है । समुद्र में ज्वार-भाटा प्रतिदिन आता है; परंतु अमावस्या एवं पूर्णिमा को ज्वार-भाटा की तीव्रता सर्वाधिक होती है । इसके विपरीत शुक्ल एवं कृष्ण अष्टमी को ज्वार-भाटा की तीव्रता सबसे अल्प होती है । इन ४ तिथियों को चंद्रोदय स्थानीय समयानुसार सामान्यतः कब होता है, यह आगे सारणी में दिया है ।
तिथि | चंद्रोदय होने का समय |
१. अमावस्या | सूर्योदय |
२. शुक्ल अष्टमी | मध्यान्ह |
३. पूर्णिमा | सूर्यास्त |
४. कृष्ण अष्टमी | मध्यरात्रि |
उपरोक्त सारणी से ध्यान में आता है कि अमावस्या के दिन चंद्रमा सूर्योदय के समय उगता है । उस समय चंद्रमा का पीछे का भाग प्रकाशित होता है तथा सामने का भाग अप्रकाशित रहता है; इसलिए वह दिखाई नहीं देती । शुक्ल सप्तमी अष्टमी के दिन चंद्रमा मध्यान्ह (दोपहर के समय) उगता है, इसलिए सूर्यास्त होने के उपरांत वह लगभग ६ घंटे दिखाई देता है । पूर्णिमा पर चंद्रमा सूर्यास्त के समय उगता है, इसलिए वह रातभर दिखाई देता है । कृष्ण सप्तमी अष्टमी को चंद्रमा मध्यरात्रि उगता है, इसलिए सूर्योदय होने से पूर्व वह लगभग ६ घंटे दिखाई देता है ।’
– श्री. राज कर्वे, ज्योतिष विशारद, गोवा. (१२.१.२०२३)