५ मुस्‍लिमबहुल निर्वाचन क्षेत्र अनुसूचित जाति तथा जनजाति के लिए आरक्षित !

  • असम राज्‍य के निर्वाचन क्षेत्र का नए सिरे से परिसीमन !

  • धर्मांध मुसलमानों ने दर्शाया विरोध !

  • बोडो समुदाय के लिए निर्वाचन क्षेत्र की संख्‍या बढने से बोडो संगठन प्रसन्‍न !

गोहाटी (असम) – राष्ट्रीय चुनाव आयोग ने असम राज्‍य के लोकसभा तथा विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र का नए सिरे से सीमांकन किया है । इसमेें राज्‍य के १४ लोकसभा तथा १२६ विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र हैं । इसके अंतर्गत १ लोकसभा तथा १९ विधानसभा क्षेत्रों के नामों में परिवर्तन किया गया है । इसमें ५ मुस्‍लिमबहुल विधानसभा क्षेत्रों के उम्‍मीदवार मुसलमान के स्‍थान पर अनुसूचित जाति तथा जनजाति के होंगे । जिससे यहां से कोई भी मुस्‍लिम उम्‍मीदवार ‘लोकप्रतिनिधि’ के रूप में चुना नहीं जाएगा । इसलिए यहां के धर्मांध मुस्‍लिम व्‍यथित हो गए हैं । ऐसा समाचार है । दूसरी ओर बोडोलँड क्षेत्र के विधानसभा क्षेत्रों की संख्‍या ११ से १५ कर दी गई है । बोडो समुदाय को अधिक प्रतिनिधित्‍व मिलने से उनके संगठन ने प्रसन्‍नता व्‍यक्‍त की है । पंचायत तथा शहरी स्‍तर पर मतदान क्षेत्रों में कोई भी परिवर्तन नहीं किया गया है ।

१. चुनाव आयोग ने कहा कि राज्‍य के कुल १९ विधानसभा तथा २ लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित किए गए हैं । तथा १ लोकसभा तथा ९ विधानसभा क्षेत्र अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित होंगी । इसके पूर्व अनुसूचित जनजाति के लिए विधानसभा की १६ तथा अनुसूचित जाति के लिए ८ निर्वाचन क्षेत्र आरक्षित थे ।

२. चुनाव आयोग ने किए परिवर्तन के अंतर्गत कुछ निर्वाचन क्षेत्रों के नामों में भी परिवर्तन किया गया है । इसमें प्रमुख रूप से मानकचार विधानसभा क्षेत्र के नाम बदलकर वह बीरसिंह जरुआ, दक्षिण सलमार का मानकचार, गोबरधन का मानस, तो दक्षिण करीमगंज निर्वाचन क्षेत्र का नाम पत्‍थरकंडी किया गया है ।

३. आयोग की रिपोर्ट में बताया गया है कि कुल १ हजार २०० आवेदन पत्रों का विचार किया गया है । वर्ष १९७६ के उपरांत पहली बार ही इस प्रकार  निर्वाचनक्षेत्र का परिसीमन किया गया है ।

४. राज्‍य के मुख्‍यमंत्री हिमंत बिस्‍वा सरमा ने इस संदर्भ में कहा कि, लोगों की मांग तथा राज्‍यसरकार की ओर से दिए गए कुछ सुझावों को स्‍वीकार कर यह सीमांकन किया गया है । वर्ष २०२१ में हुए चुनाव के समय भाजपा के  घोषणापत्र में सीमांकन के सूत्र थे । हमने हमारा वचन पूर्ण किया है ।

५. आसाम के बोडो समुदाय के लिए कार्य करनेवाले ‘निखिल बोडो विद्यार्थी संस्‍था’, ‘बोडो जातीय परिषद’, ‘बोडो साहित्‍य सभा’, ‘बोडो क्षेत्रीय परिषद’, ‘दुलाराई बोडो हरिमु अफाद’, ‘दुलाराई बाथो महासभा’ तथा ‘बोडो महिला कल्‍याण परिषद’ इन संगठनों ने संयुक्‍त रूप सेे पत्रकार परिषद लेकर सीमांकन पर आनंद व्‍यक्‍त किया है ।

संपादकीय भूमिका 

असम में घुसपैठियों की संख्‍या अधिक है । इसलिए मुस्‍लिम बहुल निर्वाचन क्षेत्र से स्‍वयं को जैसे चाहिए वैसे उम्‍मीदवार चुनकर लाने का धर्मांधों का प्रयास है । राज्‍य की सुरक्षा पर उसका सीधा परिणाम होता है । विधानसभा के परिसीमन के कारण उनका यह रास्‍ता बंद होने से धर्मांध मुसलमान विरोध कर रहे हैं, यह समझ लें !