वेदरक्षण की परंपरा के विस्तार की आवश्यकता ! – प. पू. सरसंघचालक डॉ. मोहन जी भागवत

बाएंसे प. पू. सरसंघचालक डॉ. मोहन जी भागवत और कामकोटी पीठ के शंकराचार्य विजयेंद्र सरस्वती

वाराणसी (उत्तर प्रदेश) – आने वाला समय भारत और सनातन धर्म का है । वेद ज्ञान के भंडार हैं । वेदों में सभी कुछ है । नियमित होने वाले आक्रमणों के कारण सभी ओर विशेषत: उत्तर भारत में वैदिक ज्ञान की बडी हानि हुई । अग्निहोत्र के अनुयायियों ने युगों – युगों से इस ज्ञान की रक्षा की है । इस परंपरा का विस्तार करने की आवश्यकता है, ऐसा विधान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प. पू. सरसंघचालक डॉ. मोहन जी भागवत ने यहां एक कार्यक्रम में किया ।

यह सनातन धर्म के उत्थान का समय है !

सरसंघचालक ने आगे कहा, “यह समय सनातन धर्म के उत्थान का है । भारत संपूर्ण विश्व को धर्म का ज्ञान देगा । धर्म का मूल रूप सत्य है । आज संपूर्ण विश्व वेदों के विषय में विचार कर रहा है । हमें वेदों के विषय में जानकारी है; परंतु पूर्ण जानकारी नहीं ।”

सरसंघचालक ने कांची कमाकोटी पीठ के शंकराचार्य से की भेंट !

इस अवसर पर सरसंघचालक ने यहां गंगा किनारे स्थित सिंह किला में चतुरमास का व्रत करने वाले कामकोटी पीठ के शंकराचार्य विजयेंद्र सरस्वती से भेंट कर उनका आशीर्वाद लिया ।