धर्माचरण एवं राष्ट्रभक्ति बढाना, देश की दुर्दशा दूर करनेका एकमात्र उपाय : रामराज्य में एक स्थान पर ऐसा वर्णन किया है, ‘अलंकार धारण की हुई स्त्री रात्रि के समय भी मार्ग पर अकेली घूम सकती थी ।’ रामराज्य में यह संभव था; क्योंकि रामराज्य आदर्श राज्य था । रामराज्य आदर्श था; क्योंकि रामराज्य के राजा तथा प्रजा धर्माचरणी थे । छत्रपति शिवाजी ने मुगलों द्वारा स्वराज्य की हुई हानि की पूर्ति करने के लिए सूरत को लूटा, यह इतिहास आप तो जानते ही हैं । छत्रपति शिवाजी महाराज और उनके सैनिकों ने (मावळों ने) इस लूट का एक अंश भी अपने लिए नहीं रखा, सबकुछ स्वराज्य के लिए दिया । मावळे यह कर सके; क्योंकि वे राष्ट्रभक्त थे ।
बच्चो, प्रतिदिन दूरदर्शन एवं समाचारपत्रों में हम क्या देखते हैं ? सर्वत्र चोरियां, भ्रष्टाचार, स्त्रियों पर अत्याचार, मंदिरों में मूर्तियों की तोड-फोड, देवताओं का अनादर… यही सब देखने को मिलता है न ? देश की बहुसंख्य जनता धर्माचरणी व राष्ट्रभक्त न होने के कारण ही ऐसी स्थिति निर्माण हुई है । बच्चो, कल का आदर्श भारत बनाना, आप के हाथ में है । तो आइए, आप धर्माचरणी एवं राष्ट्रभक्त बनकर इसका आरंभ करेंगे न ?
(संदर्भ : सनातन का ग्रंथ ‘राष्ट्र एवं धर्म प्रेमी बनो !’)
‘भारत में सुराज्य स्थापित करना’, यही खरा ‘करियर (भविष्य)’
बालमित्रो, आप राष्ट्रपुरुष, संत और राम-कृष्ण समान देवताओं का आदर्श रखेंगे, धर्माचरण करेंगे, नैतिक मूल्यों को संजोकर रखते हुए शिक्षा प्राप्त करेंगे तथा इस शिक्षा का उपयोग राष्ट्र एवं धर्म की सेवा के लिए करेंगे, तो निश्चित ही भारत में पुनः छत्रपति शिवाजी महाराज को अपेक्षित ‘हिन्दवी स्वराज्य’ (हिन्दू राष्ट्र, आदर्श राज्य, रामराज्य) निश्चित ही स्थापित होगा । ऐसा ‘सुराज्य स्थापित करना’, यही आपका खरा ‘करियर (भविष्य)’ है !
राष्ट्र एवं धर्म के विषय में जागृति हेतु यह करें !
१. संतों के अभंग तथा देशभक्ति के गीत, समरगीत और आल्हा सुनें, उन सबको एक स्वतंत्र बही में लिख लें, कंठस्थ करें एवं अवसर मिलने पर सार्वजनिक कार्यक्रमों में प्रस्तुत करें !
२. विद्यालय के स्नेहसम्मेलन में संत, राष्ट्रपुरुष, क्रांतिकारी आदि प्रेरणादायी व्यक्तियों की जीवनी पर नाटिका प्रस्तुत करें !
३. कथाकथन, भाषण, निबंधलेखन इत्यादि प्रतियोगिताओं में सहभागी होकर राष्ट्र एवं धर्म की वर्तमान दुर्दशा और उसे सुधारने के लिए आवश्यक उपाय सुझाएं !
४. फैन्सी ड्रेस’ प्रतियोगिता के समय हिन्दू संस्कृति अनुसार आदर्श वेशभूषा (उदा. बच्चों द्वारा धोती-कुर्ता पहनना, लडकियों द्वारा साडी पहनना), साथ ही सैनिकी गणवेश धारण करना इत्यादि वेशभूषा प्रस्तुत करें !
(संदर्भ : सनातन का ग्रंथ ‘राष्ट्र एवं धर्म प्रेमी बनो !’