विद्याधिराज सभागृह (रामनाथी, गोवा) – ‘‘सनातन संस्था लोगों को संगठित करती है; इसलिए उसे नास्तिकतावादियों के हत्याओं के प्रकरणों में लक्ष्य बनाया गया । इन प्रकरणों में वास्तविक हत्यारों को खोजने का प्रयास न करते हुए अन्वेषण किया गया । इन सभी प्रकरणों में कहीं भी ठोस प्रमाण नहीं मिले हैं, अपितु इससे राजनीतिक लाभ उठाने का प्रयास हुआ है । तत्कालीन सरकार ने देश में ‘हिन्दुत्वनिष्ठ आतंकवादी हैं’ इस ‘नैरेटिव’ (कथानक) को स्थापित करने के लिए इन प्रकरणों में हिन्दुत्वनिष्ठों को फंसाया । उसके कारण स्पष्ट होता है कि आधुनिकतावादियों के हत्याओं के प्रकरणों में हिन्दुत्वनिष्ठों को फंसाने के पीछे एक बडा षड्यंत्र है ।’’, ऐसा वक्तव्य शल्यकर्म चिकित्सक, समाजसेवी तथा लेखक डॉ. अमित थडानी ने किया ।
डॉ. अमित थडानी ने नास्तिकतावादियों की हत्याओं के प्रकरणों में हिन्दुत्वनिष्ठों को फंसाने के षड्यंत्र उजागर करनेवाला ‘रेशनलिस्ट मर्डर्स’ नामक पुस्तक लिखा है ।
डॉ. अमित थडानी ने आगे कहा,
१. अन्वेषण विभाग ने दाभोलकर प्रकरण में हिन्दुत्वनिष्ठों की कानूनी सहायता करनेवाले अधिवक्ता संजीव पुनाळेकर को बंदी बनाया । क्या भविष्य में सरकार के विरुद्ध न्यायालयीन अभियोग लडनेवाले अधिवक्ताओं को भी बंदी बनाया जाएगा ? प्रशांत भूषण जैसे अधिवक्ता अपराधियों के अभियोग लडते हैं; इसलिए क्या उन्हें भी बंदी बनाया जाएगा ?
२. डॉ. नरेंद्र दाभोलकर, पानसरे, कलबुर्गी एवं गौरी लंकेश इन सभी की हत्याओं के प्रकरणों में जानबूझकर हिन्दुत्वनिष्ठों को फंसाने का प्रयास किया गया । इन सभी प्रकरणों में संदिग्ध आरोपी निरंतर बदले गए । अन्वेषण विभागों ने कहीं भी वास्तविक हत्यारोंतक ढूंढने का प्रयास नहीं
किया । केवल हिन्दुत्वनिष्ठों को लक्ष्य बनाना ही इन अन्वेषण विभागों का लक्ष्य था ।