वैश्विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव के समापन के अवसर पर हिन्दुत्वनिष्ठों द्वारा व्यक्त हृदयस्पर्शी मनोगत
१. ‘इससे पूर्व ‘हिन्दू एकत्र नहीं आ सकते’, ऐसा हमें लगता था; परंतु यहां वैश्विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव में आने पर देश के विभिन्न प्रांतों के हिन्दुत्वनिष्ठों को एकत्रित देखकर हिन्दू एकत्रित हो सकते हैं, इसके प्रति मैं आश्वस्त हुआ । ’ – अधिवक्ता देवेंद्र सिंह, पूर्व जिलाधिकारी, विश्व हिन्दू परिषद, सहारनपुर, उत्तर प्रदेश
२. ‘सभी हिन्दुओं ने एकत्रित होकर संपूर्ण शक्ति के साथ हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के लिए कार्य किया, तो हिन्दू राष्ट्र की स्थापना दूर नहीं है । देश में हिन्दुत्व का वातावरण तैयार हो रहा है । हिन्दूविरोधी शक्तियां हिन्दुओं को तोडने का प्रयास कर रही हैं; किंतु हिन्दुओं के संगठन के कारण उनके ये प्रयास विफल हो रहे हैं ।’ – श्री. किशन प्रजापति, प्रदेश संयोजक, बजरंग दल, पाली, राजस्थान
३. ‘भारत में ही हिन्दुओं के लिए आवाज उठानी पडती हो, तो यह हिन्दुओं के लिए प्रतिकूल परिस्थिति कहनी पडेगी । दैनिक ‘सनातन प्रभात’ के माध्यम से मुझे धर्मकार्य की जानकारी मिली । दधिची ऋषि ने धर्मकार्य के लिए अपनी देह अर्पण की, उनका आदर्श सामने रखकर हमें भी धर्मकार्य के लिए समर्पित होना चाहिए । ’ – श्री. अविनाश कुमार बादल, प्रदेशाध्यक्ष, हिन्दूपूत्र संघटन, बिहार
४. ‘हिन्दू राष्ट्र की स्थापना करने के लिए हिन्दुओं के लिए यह अत्यंत अनुकूल काल है । कुछ ही अवधि में अब अयोध्या में प्रभु श्रीराम का मंदिर पूर्ण होनेवाला है । हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के लिए प्रभु श्रीराम हमारे साथ हैं ।’ – श्रीमती नीता केळकर, भाजपा प्रदेश कार्यकारणी सदस्य, सांगली, महाराष्ट्र
५. ‘वैश्विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव से हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के लिए प्रेरणा मिली है । इसके आगे मेरा जो भी जीवन बचा है, वह मैं हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के लिए समर्पित करूंगा । समर्थ रामदास स्वामी ने प्रत्येक गांव में हनुमानजी के मंदिरों की स्थापना कर हिन्दवी स्वराज्य के लिए सैनिक तैयार किए । अब शत्रु हमारे द्वारतक पहुंच गए हैं । अब हिन्दुओं को स्वयं की रक्षा करने के लिए तैयार रहना चाहिए ।’ – श्री. नित्यानंद दास, उपमंडल समन्वयक गायत्री परिवार, ओडिशा
६. ‘इस वैश्विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव में आकर मुझे यहां का चैतन्य ग्रहण करना संभव हुआ; इसके लिए मैं स्वयं को बहुत सौभाग्यशाली मानता हूं । मैंने मेरे प्रतिष्ठान में सनातन संस्था द्वारा बताई स्वभावदोष एवं अहं निर्मूलन प्रक्रिया अपनाना आरंभ किया । उसके हमें अभूतपूर्व लाभ मिले हैं । यह अधिवेशन ऊर्जासंपन्न है, जिसका लाभ प्रत्येक हिन्दुत्वनिष्ठ को मिलनेवाला है । ’ – श्री. उमेश सोनार, संचालक, जसलिन एंडो सर्जिकल प्रा.लि., जलगांव, महाराष्ट्र
७. ‘इस अधिवेशन में आनेवाले हिन्दुत्वनिष्ठों की संख्या पहले से बहुत बढ गई है । अब सभी को यह समझ में आया है कि साधना करने से ही हिन्दू राष्ट्र की स्थापना होनेवाली है । ’ – डॉ. नीलेश लोणकर, अध्यक्ष, वीर सावरकर युवा विचार मंच, पुणे
मैं अपना शेष जीवन हिन्दू राष्ट्र स्थापना की लडाई के लिए समर्पित करूंगा ! – अधिवक्ता अमृतेश एन्.पी., उपाध्यक्ष, हिन्दू विधिज्ञ परिषद, कर्नाटक आज से मैं अपना शेष जीवन हिन्दू राष्ट्र स्थापना की लडाई के लिए समर्पित करने के लिए शपथबद्ध हो रहा हूं । इसके आगे कर्नाटक के प्रत्येक जिले में अधिवक्ताओं का एक प्रकोष्ठ तैयार कर हिन्दुत्व का कार्य करनेवाले प्रत्येक हिन्दुत्वनिष्ठ को सहायता करने का कार्य किया जाएगा । अगले अधिवेशन में मैं और १५ अधिवक्ताओं के साथ उपस्थित रहूंगा । |