रामनाथ देवस्थान – भारत के विभिन्न राज्यों में गोहत्या प्रतिबंधक कानून बनाए गए हैं; परंतु उनमें अनेक त्रुटियां होने के कारण वह एक प्रकार से हिन्दुओं से की गई प्रतारणा है । एक राज्य में गोहत्या प्रतिबंधक कानून हो तथा पडोस के राज्य में गोहत्याबंदी कानून न हो, तो व्यापारी राज्य की सीमा से पार जाकर गोहत्या करते हैं; इसलिए राज्यों के स्तर परप गोहत्या प्रतिबंधक कानून न बनाकर राष्ट्रीय स्तर पर बनाया जाए । उसके लिए इच्छाशक्ति की आवश्यकता है । उसके कारण जिस दिन भारत हिन्दू राष्ट्र बनेगा, उसी दिन इस देश में गोहत्याएं संपूर्णतया रुक जाएंगी, ऐसा प्रतिपादन मुंबई उच्च न्यायालय की अधिवक्ता सिद्ध विद्या ने किया । वैश्विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव के तीसरे दिन (१८.६.२०२३ को) उपस्थित हिन्दुत्वनिष्ठों को संबोधित करते हुए वे ऐसा बोल रही थीं ।
‘गोरक्षा के वर्तमान त्रुटिपूर्ण कानून’ विषय पर बोलते हुए उन्होंने कहा, ‘‘जिस देश में गोपूजा एक श्रद्धा है, उस देश में ‘एक दिन गोहत्याबंदी के लिए लडाई लडनी पडेगी’, ऐसा किसी को लगा नहीं होगा । विभिन्न राज्यों के गोहत्याप्रतिबंधक कानूनों में भिन्न-भिन्न त्रुटियां हैं, जिसका व्यापारी लाभ उठाते हैं । कुछ स्थानों पर बैल एवं भैंस की हत्या की अनुमति दी गई; परंतु इन पशुओं तथा गाय के मांस में स्थित अंतर पहचानने की कोई व्यवस्था न होने के कारण बैल एवं भैंस के नाम पर गोमांस का व्यापार चलता ही रहता है । कुछ स्थानों पर ‘अनफीट’ (शारीरिकदृष्टि से अपाहिज) गोवंश के हत्या की अनुमति है, उसके कारण गोहत्या करनेनवाले लोग गोवंश को ‘अनफीट’ प्रमाणित कर लेने के लिए उनका उत्पीडन कर उनके ‘अनफीट’ होने का प्रमाणपत्र प्राप्त करते हैं । गोहत्याबंदी के विषय को संविधान के मूलभूत अधिकारों में अंतर्भूत करना आवश्यक है ।’’