लेखाजोखा दो !

आम आदमी पक्ष के (आप के) नेता और देहली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के घर पर केंद्रीय अन्वेषण विभाग ने (‘सीबीआई’ने) छापा मारा है। विरोधकों का आरोप है कि राज्य में नई उत्पादन शुल्क नीति कार्यान्वित करते समय करोडों रुपयाें का घोटाला हुआ है। देहली के उप-राज्यपाल वी.के. सक्सेना ने ‘आप’ शासन की नई उत्पादन शुल्क नीति की ‘सीबीआई’ सजांच कराने की मांग की थी। उसके अनुसार ‘सीबीआई’ ने १९ अगस्त को राज्य में २१ स्थानोंपर छापा मारा था।

राज्य के मद्य बिक्री की (शराब बिक्री की) दुकानाें में नियमितता लाने के लिए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने उत्पादन शुल्क नीति लागू की है। इसके अंतर्गत शराब की सरकारी और निजी सभी दुकानें बंद कर नई निविदाएं बुलाई गयी थीं। इस से पहले देहली में शराब की ७२० पंजीकृत दुकानें थीं । उनमें से २६० दुकानें निजी थीं। नई नीति के उपरांत सभी दुकानें निजी व्यवसायियों को सौंपी गई हैं। ‘इस नीति से करोडों रुपयों का व्यवहार होगा और शराबमाफिया पर अंकुश लगेगा’, ऐसा देहली सरकार का कहना है। इस पर विरोधकों का महत्त्वपूर्ण आक्षेप हैे कि यह नीति लागू करते समय मंत्रीमंडल का विचार नहीं किया गया। शराबबिक्री की अनुज्ञप्ति लेनेवालों से निविदाएं बुलाने के पश्चात् भी बडी मात्रा में लाभ देने से शासन की बडी हानि हुई है । उत्पादन शुल्क विभाग ने शराब विक्रेताओं का १४४ कराेड से अधिक रुपयों का अनुज्ञप्ति शुल्क क्षमा किया है। उपराज्यपाल द्वारा आक्षेप लेने पर ये निर्णय वापिस लिए गए थे ; परंतु उसके उपरांत भी इन निर्णयों की कार्यवाही शासन से मनमानी ढंग से होती ही रही। आरोप है कि शराब विक्रेताओं को इस प्रकार लाभ देने में मनीष सिसोदिया का हाथ है।

लेखाजोखा क्याें नहीं देते ?

सीबीआई द्वारा जांच आरंभ होने पर ‘आप’ ने सीधापन का ढोंग रचा है। ‘सिसोदिया द्वारा शिक्षाक्षेत्र में किए कार्य की प्रशंसा जिस दिन ‘न्यूयॉर्क टाइम्स’ में की गई, उसी दिन यह छापा मारा गया। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि, ‘देहली के शिक्षा और स्वास्थय क्षेत्रों की प्रगति में रोडा अटकाने का काम किया जा रहा हेै ।’ वास्तव में ‘न्यूयॉर्क टाइम्स’में शिक्षा क्षेत्र के कार्य की प्रशंसा हो रही है, पर ऐसे होते हुए भी सुशिक्षित कहलानेवालों को शराबनीति में हुए घोटालों का समर्थन ‘न्यूयॉर्क टाइम्स’के प्रमाण देकर क्यों करना चाहिए? सिसोदिया ने भी पत्रकार परिषद आयोजित कर ‘हमने जो कार्य किया है वह देखा नहीं जाता, इसलिए भाजपा यह कार्यवाही कर रही है’ आदि सूत्र कहे हैं। कल से अनेक ट्वीट करते समय सिसोदिया ने ‘शराब विक्रेताओं से हुए व्यवहाराें की आवश्यक जानकारी देंगे’,‘पाई-पाई का लेखा देंगे’, इस प्रकार का वक्तव्य नहीं किया । इसके िवपरीत ‘मुझे बंदी बनाया जा सकता है’, ऐसे वक्तव्य कर वे जनता की भावनाओं से खेलने का प्रयास कर रहे हैं। इसके पहले ही आप सरकार के मंत्री सत्येंद्र जैन आर्थिक घोटाले के प्रकरण में प्रवर्तन निदेशालय की (ईडी की) कोठरी में हैं। संक्षेप में आप के नेता भी मंझे हुए राजनेताओं ेके समान ही घोटाले कर रहे हैं।

भिन्नता नहीं !

हमारा देश भ्रष्टाचार का एक बडा अड्डा होने से राजकीय नेता और मंत्रियों के कार्यालय और घरों पर छापा मारा जाना, अब नित्य की बात हो गई है। परंतु आम आदमी पक्ष से ऐसी अपेक्षा नहीं है; क्योंकि उन्होंने भ्रष्टाचाररहित स्वच्छ प्रशासन का बहुत बडा दावा किया है । वास्तव में तो आप का उगम ही भ्रष्टाचारविरोधी आंदोलन से हुआ है । ऐसे में आप के मंत्रियों पर मनमानी, भ्रष्टाचार और आर्थिक घोटालों के लग रहे आरोप विरोधाभास निर्माण करते हैं। आप ने अन्य पक्षाें की तुलना में अपनी भिन्नता कहां संजोयी है ? मद्य (शराब) राजस्व में किए भ्रष्टाचार के आरोप के उपरांत आप भी दूसरों के समान ही राजनीति कर रहे हैं ! सत्येंद्र जैन तो अभी भी (ईडी की) कोठरी में हैं, तथा ‘मेरी स्मृति नहीं रही’, ऐसा उन्होंने ही न्यायालय के समक्ष बताया है। तब भी आप के शासन में वे अभी भी मंत्रीपद पर हैं। जिनकी स्मति ही नहीं रही, ऐसे मंत्रियों को लेकर आप का शासन जनता को किस प्रकार का प्रशासन दे रहा है ? उनसे ऐसी स्थिति में जनता के कोैन से काम हो रहे हैं ? उन्हें पद से क्यों नहीं हटाया जाता ? भ्रष्टाचार के आरोपी मनीष सिसोदिया का भी ‘आप’ समर्थन क्यों कर रहा हेै ?

राजस्व राज्य के आय की रीढ होता है। उसका नियमन अच्छे से होने के लिए प्रयास करना अनुचित नहीं; परंतु उससे शासन को नहीं, अपितु निजी शराब विक्रेताओं को लाभ होनेवाला हो, तो आरोप लगेंगे ही ! १४४ करोड से अधिक रुपयों का उत्पादन शुल्क क्षमा करना और निजी शराब वितरकाें को लाभदेने के लिए ही क्या शासन की नीतियां परिवर्तित की जा रही हैं ? शराब विक्रेता कोई समाजसेवक नहीं हैं । शराब जीवनावश्यक वस्तु भी नहीं है कि उस पर कर क्षमा किया तो जनता को लाभ होगा ! दूसरों पर उंगली उठाते समय स्वयं क्या कर रहे हैं, यह देखना बहुत आवश्यक होता है । आप कितने भी मुखौटे धारण करे, पर पहले से ही उनके शासन पर अनेक आरोप लग रहे हैं। बहुत कुछ बिनामूल्य देने का लालच देकर शासन स्थापित हुआ, तो भी उसे चलाने के लिए आवश्यक नीति ‘आप’ के पास नहीं दिखी, यही सत्य है! वैसे देखा जाए तो राजनीति और भ्रष्टाचार एक ही सिक्के के २ पहलू बन गए हैं । आप का शासन भी उसका अपवाद नहीं रहा, यह बार बार सामने आ रहा हैे !

निःशुल्क सुविधाओंकी लालच से यदि सरकार स्थापन हो गई, तो भी वह चलानेके लिए नीतिमत्ता चाहिए, वह आप के पास नहीं है ।