पादरियों के लिए बनाए गए ११ वीं शताब्दि के नियमों में परिवर्तन लाना आवश्यक !
वैटिकन सिटी – ईसाइयों के सर्वाेच्च धर्मगुरु पोप फ्रांसिस ने चर्च के पादरियों के लिए बनाया गया शारीरिक संबंधों पर प्रतिबंध लाने का नियम अवैध घोषित किया है । उनके मतानुसार चर्च के पादिरियों को विवाह करने पर कोई प्रतिबंध नहीं है । यह समाचार ‘डेली मेल’ नामक अंग्रेजी दैनिक ने प्रकाशित किया है । इस समाचार में कहा है कि अर्जेंटिना के दैनिक ‘इंफोबे’ को दिए साक्षात्कार में पोप ने इस विषय में यह विधान किया । इस साक्षात्कार में पोप को जर्मनी के कैथलिक चर्च द्वारा समलैंगिक विवाहों को दी अनुमति एवं चर्च में होनेवाले बच्चों के यौन शोषण संबधी प्रश्न पूछे गए थे ।
In a new interview, Pope Francis has discussed the possibility of revising the Western discipline of priestly celibacy. https://t.co/tdyO2zblYF
— EWTN Vatican (@EWTNVatican) March 10, 2023
१. पोप फ्रांसिस ने कहा कि पादरियों को शारीरिक संबंध रखने के लिए चर्च द्वारा बनाए गए पुराने नियमों की समीक्षा की जाएगी । उन्होंने आवाहन किया कि चर्च संबंधी नियमों में किए जा रहे परिवर्तन का जनता को स्वागत करना चाहिए । कहा जा रहा है कि चर्च के पादरियों द्वारा बच्चों के किए जा रहे यौन शोषण को ध्यान में रखते हुए पोप द्वारा नियमों में यह परिवर्तन किया जा रहा है ।
२. पोप ने बताया कि ११ वी शताब्दि में रोमन कैथलिक चर्च द्वारा पादरियों के लिए बनाए गए नियम सदा के लिए नहीं बनाए गए हैं । उस समय की आर्थिक परिस्थिती की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए ये नियम बनाए गए थे । शारीरिक संबंधों पर प्रतिबंध अनुशासन का एक भाग था । उस समय यह विचार किया गया कि पादरियों को चर्च के कल्याण हेतु अधिक समय देना चाहिए । उस समय के अधिकांश चर्च के पादरी विवाहित हैं । पादरियों को दीक्षा देते समय विवाहित अथवा अविवाहित रहने का विकल्प दिया जाता है ।
३. बढते हुए विवाहविच्छेदों के संदर्भ में उन्होंने कहा कि भविष्य में विवाहविच्छेद होने का प्रमुख कारण है, युवाओं का बिना सोचे-समझे विवाह करने का निर्णय ।