छोटे देश में पैसे का विशेष महत्त्व न होने से वे समाधानी होते हैं !

२५ देशों में प्रवास कर स्कॉटलैंड के वैज्ञानिक क्रिस्टोफर बॉयस ने निष्कर्ष निकाला !

वैज्ञानिक क्रिस्टोफर बॉयस

एडिनबर्ग (स्कॉटलैंड) – मानवीय आचरण पर अध्ययन करनेवाले यहां के वैज्ञानिक क्रिस्टोफर बॉयस ने ‘मनुष्य को किस बात से शाश्‍वत आनंद होता है ?’, इस प्रश्न पर शोध करने हेतु साईकिल से २५ देशों में पूरे २० सहस्र किलोमीटर की यात्रा की । इसके लिए उन्होंने अपनी नौकरी भी छोड दी । इस यात्रा में मुख्य रूप से वे भारत के पडोसी देश भूटान में रहे । उनकी समझ में आया कि छोटे देश सिखाते हैं कि जीवन में समाधान प्राप्त करने हेतु पैसा विशेष महत्त्वपूर्ण नहीं है ।

बॉयस की यात्रा आरंभ हुई । इस कालावधि में वे सैकडों लोगों से मिले तथा उनके साथ रहे । ‘विविध देशों के जीवन-निर्वाह करने की पद्धतियों में आनंद का कारण छिपा है’, इसे समझकर उन्होंने अपना अध्ययन प्रस्तुत किया ।

१. मध्य अमेरिकी कोस्टा रिका नामक छोटे से देश में पहुंचने पर बॉयस की समझ में आया कि उस देश में स्वयं की सेना नहीं है । बॉयस ने कहा, ‘प्यूरा विडा’ अर्थात सामान्य जीवन शैली ! यहां के लोगों की औसत आयु ७९.१ वर्ष है । देश में सेना न रहने से शिक्षा तथा स्वास्थ्य पर अत्यधिक व्यय होता है ।

२. दक्षिण अमेरिकी देश पेरू के संदर्भ में बॉयस ने कहा, यहां के लोग चाहे निर्धन हों अथवा धनवान, वे आनंदित हैं । यहां संयुक्त परिवार पद्धति है । सभी एकत्रित आकर काम भी करते हैं । लोगों में एक-दूसरे के प्रति आत्मीयता है । इसके अतिरिक्त उनमें साहस दिखाई देता है ।

३. कैनडा समान प्रगत देश में साईकिल से घूमते समय बॉयस को ध्यान में आया कि यहां वर्ष २००० से ‘कैनेडियन इंडेक्स ऑफ वेल बीइंग’ (जनता के हित के लिए निश्चित की गई पद्धति ) आरंभ किया गया । इसके अंतर्गत विकास का मापदंड निश्चित किया गया है, जिसमें सामाजिक जीवन, लोकतंत्र पर विश्‍वास, शिक्षा, पर्यावरण तथा स्वास्थ्य आदि का समावेश है ।

क्रिस्टोफर बॉयस के विशिष्ट अनुभवों का वीडियो देखने के लिए आगे दी गई मार्गिका पर जाएं

: https://www.youtube.com/watch?v=ZlIm9_P4Uwg

भूटान ने विश्व को दिया ‘जनता के आनंद’ को विकास की कसौटी निश्चित करने का मंत्र ! – बॉयस

अंत में वैज्ञानिक बॉयस भूटान पहूंचे । इस देश में विकास का मापदंड ‘जीडीपी’ अर्थात सकल देशांतर्गत उत्पादन (ग्रॉस डोमेस्टिक प्रॉडक्ट) नहीं, अपितु ‘जी.एन.एच. अर्थात ‘ग्रॉस नैशनल हैप्पीनेस अर्थात आनंद को विशेष महत्त्व दिया गया है । बॉयस कहते हैं, भूटान ने जनता के विश्व को आनंद का विकास निश्चित करने का मंत्र दिया है । संस्कृति की सुरक्षा करना, समुदाय के साथ जीवन निर्वाह करना तथा पर्यावरण की सुरक्षा करने पर यहां के लोगों का विश्‍वास है । इसलिए लोग आनंदी तथा समाधानी रहते हैं ।

संपादकीय भूमिका 

विश्व को शाश्‍वत आनंद का मार्ग हिन्दू धर्म ने दिया है; परंतु भारत के हिन्दुओं की कर्मदरिद्रता के कारण आज वे केवल व्यावहारिक सफलता के पीछे दौड रहे हैं तथा दुखी हो रहे हैं । इन सभी पर एक ही समाधान है एवं वह है हिन्दू धर्मशिक्षा ग्रहण कर साधना करें, यह ध्यान में लें !