(और इनकी सुनिए…) ‘इस्लाम भारत के बाहर से नहीं आया !’ – महमूद मदनी, जमीयत-उलेमा-ए-हिंद

जमीयत-उलेमा-ए-हिंद प्रमुख महमूद मदनी का दावा !

महमूद मदनी

नई देहली – इस्लाम का सभी धर्मों से पुराना संबंध है । इस्लाम भारत के बाहर से नहीं आया । भारत हमारा देश हे । भारत नरेंद्र मोदी और सर संघ प्रमुख मोहन भागवत का उतना ही है जितना महमूद मदनी का । जमीयत-उलेमा-ए-हिंद के प्रमुख महमूद मदनी ने वक्तव्य देते हुए कहा कि वह मदनी का जितना है, उससे एक इंच भी कम या अधिक नहीं हैं । वह यहां रामलीला मैदान में जमीयत-उलेमा-ए-हिंद के चल रहे सम्मेलन में बोल रहे थे । उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि संघ और मुसलमानों के बीच कोई विवाद नहीं है।

मदनी ने आगे कहा कि,

१. भारत अल्लाह के प्रथम पैगंबर अब्दुल बशर सैदाला आलम की धरती है। भारत मुसलमानों की पहली मातृभूमि है । अतः यह कहना कि ‘इस्लाम बाहर से आया’ सर्वथा अयोग्य एवं  निराधार है । हिंदी मुसलमानों के लिए भारत सबसे अच्छा देश है ।

२. अल्पसंख्यकों के विरुद्ध हिंसा करने वालों को दंड देने के लिए अलग से कानून बनाने की जरूरत है । मुसलमानों के विरुद्ध घृणा  और उकसाने तथा  इस्लामोफोबिया के प्रकरण बढ़ रहे हैं ।

३. आज देश में ईर्ष्या का वातावरण है । आधारहीन प्रचार जोरों पर है। जो देश के लिए खतरनाक हैं, उन्हें मुक्त किया जा रहा है ।

४. वर्तमान स्थिति में यदि स्वामी विवेकानंद, मोहनदास गांधी, नेहरू और चिश्ती को आदर्श मानने वाले लोग यदि इसे देखते रहे तो देश की स्थिति क्या होगी इसकी कल्पना करना असंभव है ।

आइए भेदभाव और शत्रुता को भूलकर देश को विश्व में शक्तिशाली  बनाने के लिए एक साथ आएं !

राष्ट्रीय स्व.से.संघ और उसके सरसंघचालक को आमंत्रित करता हूं कि आइए हम अपने भेदभाव और शत्रुता को भुलाकर एक-दूसरे को गले लगाएं । आइए देश को विश्व का एक शक्तिशाली देश बनाएं । हमें सनातन धर्म के तेज से कोई शिकायत नहीं है । मदनी ने यह भी आवाहन किया कि आपको इस्लाम से कोई शिकायत नहीं होनी चाहिए । उन्होंने कहा कि गत कुछ वर्षों हमारे विरोध में घटनाएं बढ़ी हैं । जिस तरह से सरकार को ऐसी घटनाओं के विरुद्ध कार्रवाई करनी चाहिए थी, जो उनकी जिम्मेदारी थी, उसका पालन नहीं किया जा रहा है । देश में हिंदू धर्म की परिभाषा ही बदल दी गई है । (मदनी जिहादी आतंकवाद की बात क्यों नहीं करते ? – संपादक)

संपादकीय भूमिका 

क्या कभी कोई इस पर विश्वास करेगा ? इस तरह के वक्तव्य देकर देश को भ्रमित करने का प्रयत्न किया जा रहा है । यह कहने का प्रयास है कि ‘भारत इस्लामवादियों का देश है’, किन्तु भारत के विकास में ऐसे कितने इस्लामवादी सहभागी हैं और भारत में अराजकता और अन्य आपराधिक गतिविधियों में वे कितने लिप्त  हैं, इस पर चर्चा करने की आवश्यकता है !