पाकिस्तान में ईशनिंदा कानून के दंड को अधिक कठोर किए जाने पर पाकिस्तान मानवाधिकार आयोग द्वारा चिंता व्यक्त ।

  • असत्य आरोप एवं बदला लेने के लिए कानून का उपयोग किया जा सकता है !

  • अल्पसंख्यकों के विरुद्ध कानून का शस्त्र के तौर पर उपयोग करने की आशंका !

(ईशनिंदा अर्थात श्रद्धास्थानों का अपमान करना )

इस्लामाबाद (पाकिस्तान) – पाकिस्तान के मानवाधिकार आयोग ने देश के आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम, २०२३ के अंतर्गत ईशनिंदा से संबंधित प्रावधानों पर चिंता व्यक्त की है । यह सुधारित कानून १७ जनवरी को पाकिस्तान की संसद में पारित किया गया था।

१. इस सुधारित कानून में किसी धार्मिक व्यक्ति अथवा श्रद्धास्थानों के विरुद्ध अपमानकारक वक्त्यव्य करनेवाले को ३ वर्ष के कारावास का दंड बढाकर आजीवन कारावास कर दिया है l साथ ही न्यूनतम दंड १० वर्ष कारावास होगा । इस अपराध की जमानत नहीं होगी ।

२. मानवाधिकार आयोग ने कहा है कि इस कानून का अल्पसंख्यकों के विरुद्ध शस्त्र के रूप में उपयोग किए जाने की संभावना है । इससे असत्य आरोप एवं प्रतिशोध (बदला) लेने का प्रयास हो सकता है ।

संपादकीय भूमिका

भारत में हिन्दुओं के श्रद्धास्थानों का लगातार अपमान होने पर भी किसी को दंड नहीं मिलता, किंतु पाकिस्तान में दंड को और कडा किया जा रहा है जो कि यह हिन्दुओं के लिए लज्जाजनक है !