(कहते हैं) ‘रामचरितमानस’ पर प्रतिबंध लगाएं ! – स्वामी प्रसाद मौर्य

समाजवादी दल के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य की हिन्दूद्वेषी मांग !

लक्ष्मणपुरी (उत्तर प्रदेश) – रामचरितमानस में सबकुछ कचरा भरा हुआ है । क्या यही धर्म है ? रामचरितमानसे कुछ भागों पर मुझे आपत्ति है । इसमें स्वामी तुलसीदास ने शूद्रों को ‘अधम जाति के’, ऐसा कहा है । धर्म के नाम पर विशेष जातियों का अनादर किया गया; इसलिए रामचरितमानस पर प्रतिबंध लगा देना चाहिए । समाजवादी दल के नेता स्वामीप्रसाद मौर्य ने यह आपत्तिजनक मांग की है ।

स्वामी प्रसाद मौर्य ने आगे कहा कि ब्राह्मण चाहे कितना भी चोर, दुराचारी, अशिक्षित एवं आवारा हो, तब भी उसे पूजनीय माना गया है, तो ‘शुद्र चाहे कितना भी ज्ञानी, विद्वान एवं ज्ञाता क्यों न हो; परंतु उसे सम्मान नहीं देना है’, ऐसा कहा गया है । क्या यह धर्म है ? यदि यही धर्म है, तो मैं इसे नमस्कार करता हूं । (क्या ऐसा कहीं पर हो रहा है ? ‘झूठ बोलो; परंतु जोर से बोलो’, इसी मानसिकतावाले स्वामीप्रसाद मौर्य ! – संपादक) ऐसे धर्म का सत्यानाश हो, जो हमारे सत्यानाश करने की इच्छा रखता हो । (विगत अनेक दशकों से जो आतंकवाद फैलाकर लाखों लोगों का सत्यानाश करते आए हैं तथा आज भी कर रहे हैं; उनके धर्म के संदर्भ में मौर्य कभी भी ऐसा नहीं बोलेंगे, यह ध्यान में लीजिए ! – संपादक) यदि किसी ने ऐसा वक्तव्य दिया, तो कुछ धर्म के मुट्ठीभर ठेकेदार, जिनकी जीविका इसी पर चलती है; वे कहते हैं कि हिन्दुओं की धार्मिक भावनाएं आहत हो रही हैं । (‘सर तन से जुदा’ (सिर काटना), ऐसा कौन और किसके कारण बोलते हैं, क्या यह मौर्य बताएंगे ? – संपादक)

संपादकीय भूमिका

  • भारत में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता होने से कोई भी उसे जो लगता है, वह बडबडाता रहता है । उसीका उदाहरण है स्वामीप्रसाद मौर्य ! ऐसे वक्तव्य देने से पिछडे जातियों के वोट मिलेंगे तथा उससे सत्ता का स्वाद चखा जा सकेगा, यही स्वार्थी मानसिकता इसके पीछे होती है ! हिन्दू धर्मप्रेमियों ने ऐसे लोगों को राजनीति में अच्छा पाठ पढाया है; परंतु तब भी वे समाज में विद्वेष फैलाने का प्रयास करते हैं; इसलिए ऐसे लोगों का कारागार में ही बंद कर देना चाहिए !
  • विगत ५०० वर्षाें से यह ग्रंथ संपूर्ण विश्व में पूजनीय बन गया है तथा उसके कारण कभी भी तथा कहीं भी हिंसा नहीं हुई है; परंतु तब भी ऐसे वक्तव्य देकर सस्ती लोकप्रियता प्राप्त करने का ही यह प्रयास है !
  • जिन पुस्तकों के कारण विश्व में हिंसा हो रही है, उन पर प्रतिबंध लगाने की मांग करने का साहस मौर्य कभी नहीं दिखाएंगे; क्योंकि वे उसके परिणाम भलीभांति जानते हैं !