‘ईदगाह’ के विकास के लिए लाखों रुपए का प्रबंध !

मुसलमानों के धार्मिक क्षेत्रों के विकास के नाम पर प्रयोग किए जाते हैं सरकारी कोष (खजाने) के पैसे !

(‘ईदगाह’ अर्थात ईद के दिन नमाज पठन करने का स्थान)

मुंबई, ११ जनवरी – मुसलमानों के आर्थिक, शैक्षिक एवं सामाजिक विकास के लिए अल्पसंख्यक विकास विभाग द्वारा विविध योजनाएं क्रियान्वित हैं । परंतु वास्तव में आर्थिक, शैक्षिक एवं सामाजिक विकास की संकल्पना को अनदेखी कर यह विभाग मुस्लिमों के धार्मिक क्षेत्र के विकास के लिए सरकारी कोष (खजाने) से लाखों रुपए बांट रहा है । मुस्लिमों के धार्मिक क्षेत्र ‘ईदगाह’ के विकास के लिए इस विभाग से निधि (फंड) देने का असंवैधानिक एवं अवैध पद्धति चल रही है ।

अल्पसंख्यक समुदाय का जीवनयापन ऊंचा उठाने के लिए अल्पसंख्यक विभाग द्वारा नगर एवं ग्राम के अल्पसंख्यक बहुल क्षेत्र में मूलभूत नागरिकी सुविधाओं के लिए पैसे दिए जाते हैं । वास्तव में पीने के पानी की सुविधा, बिजली आपूर्ति, नहाने-धोने के पानी की व्यवस्था, मार्ग, पथदीप (स्ट्रीट लाइट), सार्वजनिक स्वच्छतागृह, कब्रिस्तान की देखभाल, बालवाडी एवं आंगनवाडी की देखभाल, सार्वजनिक सभागृह शैक्षिक एवं सामाजिक कामकाज के लिए यह पैसा रखा गया है । ‘ईदगाह’ मुस्लिमों का धार्मिक स्थान होते हुए भी मापदंडों की अनदेखी कर उसके विकास के लिए यह पैसा दे रहे हैं । महानगर निगम के लिए २० लाख रुपए, ‘अ’ श्रेणी के नगर निगम के लिए १५ लाख रुपए जबकि ‘ब’ एवं ‘क’ श्रेणियों के नगर निगम के लिए १० लाख रुपए दिए जाते हैं ।

यदि कोई धार्मिक क्षेत्र तीर्थक्षेत्र के रूप में विख्यात हो अथवा पर्यटन-स्थल के रूप में विकसित करना हो, तो उसके लिए सरकारी कोष से पैसा दिया जाता है । यह पैसा सर्व धर्मियों के धार्मिक स्थानों के लिए दिया जाता है । विधायक अथवा सांसद को प्राप्त विकास निधि से वे स्वयं के अथवा अन्य चुनावक्षेत्र के, उनको जो उचित लगता है, उनके कामों के लिए निधि दे सकते हैं; परंतु विकास के नाम पर प्रत्येक ग्राम एवं नगर के अल्पसंख्यक बहुल क्षेत्रों में ‘ईदगाह’ के विकास के लिए सरकारी कोष से पैसा व्यय किया जा रहा है । सरकारी कोष से अल्पसंख्यकों का धार्मिक विकास किया जा रहा है ।

अन्य अल्पसंख्यकों के धार्मिक क्षेत्रों की अनदेखी कर केवल ईदगाह के लिए पैसा !

अल्पसंख्यकों की श्रेणी में मुसलमान, ईसाई, बौद्ध, जैन, सिक्ख एवं पारसी समुदाय समाहित हैं । इसमें सर्वाधिक संख्या मुस्लिम समाज की है । इसमें अन्य संप्रदायों के धार्मिक क्षेत्रों के लिए कोई भी प्रावधान नहीं किया गया है, हालांकि मापदंड को अनदेखी कर मुस्लिमों के धार्मिक स्थलों को निधि (फंड) उपलब्ध कराया गया है । इससे प्रश्न उठता है कि क्या अल्पसंख्यक विकास विभाग अन्य अल्पसंख्यक संप्रदायों के लिए गौण है तथा केवल मुस्लिमों के विकास के लिए काम कर रहा है ?