भारत की स्वीकृति की संस्कृति के कारण ही अहिंदुओं को मिली ‘हिंदू’ पहचान !

प.पू. सरसंघचालक डॉ. मोहनजी भागवत का प्रस्ताव !

प.पू. सरसंघचालक डॉ. मोहनजी भागवत

दरभंगा (बिहार) – भारत में रहने वाले सभी नागरिक अनिवार्य रूप से हिंदू हैं । भारत में रहने से भी वे हिंदू हैं । आज उनकी (अहिंदुओं) पहचान जो भी है, उन्हें यह ध्यान रखना चाहिए कि यह भारत की स्वीकृति की संस्कृति के कारण है । प. पू. सरसंघचालक डॉ. मोहन जी भागवत ने जोर देकर कहा कि हिंदू धर्म सदियों पहले की संस्कृति का नाम है । उन्होंने  यहां संघ के स्वयंसेवकों का मार्गदर्शन किया ।

प. पू. भागवत ने अपने ४ दिवसीय बिहार भ्रमण के समापन से पूर्व आयोजित इस कार्यक्रम में आगे कहा,

१. भारत माता की स्तुति करने में संस्कृत श्लोकों का पठन करने वाला और भूमि की संस्कृति का रक्षण करने को कटिबद्ध प्रत्येक व्यक्ति हिन्दू है ।

२. हिन्दू मूलतः संस्कृति सर्वसमावेशक हैं । अभी अपनी भिन्न पहचान का दावा करते हुए वे एक-दूसरे को विरोध में खडे देखते हैं। यदि हम अपने आरम्भ को देखें, तो हम एक ही मूल के स्रोत को देखेंगें ।

३. स्वयं को दूसरों में देखना, स्त्रियों को उपभोग की वस्तु नहीं माता समझना और अन्यों की संपत्ति की लालसा न करना, ये तत्व हिन्दू धर्म की व्याख्या स्पष्ट करते हैं ।