सीएए कानून असम समझौता तथा स्थानीय लोगों के सांस्कृतिक अधिकारों का हनन नहीं करता !

केंद्र सरकार द्वारा सर्वाेच्च न्यायालय में प्रतिज्ञापत्र

(सीएए अर्थात नागरिकता सुधार कानून, ‘सिटिजनशिप अमेंडमेंट एक्ट’)

नई देहली – नागरिकता सुधार कानून २०१९ असम तथा अन्य पूर्वाेत्तर राज्य के स्थानीय लोगों के सांस्कृतिक अधिकारों का हनन नहीं करता, केंद्र सरकार ने सर्वाेच्च न्यायालय में प्रतिज्ञापत्र प्रस्तुत कर ऐसी भूमिका स्पष्ट की । केंद्र सरकार ने यह भी स्पष्ट किया कि इस कानून में ऐसी कोई भी शर्त नहीं, जो असम की विशेष भाषा, लिपि अथवा संस्कृति पर परिणाम डाले । ‘यह कानून असम समझौता तथा यहां की संस्कृति पर कोई परिणाम डालेगा तथा वह संविधान विरोधी है’, ऐसा आरोप लगानेवाली याचिकाओं पर सर्वाेच्च न्यायालय में सुनवाई चल रही है । इस पर केंद्र सरकार ने स्वयं अपना पक्ष रखा । इस प्रकरण की अगली सुनवाई अब ६ दिसंबर को होगी । ‘ऑल असम स्टुडेंट्स युनियन’ तथा असम के अन्य कुछ याचिकाकर्ताओं ने सीएए के विरुद्ध याचिकाएं प्रविष्ट की हैं ।

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कहा कि

१. नागरिकता सुधार कानून ३१ दिसंबर २०१४ से पूर्व अफगानिस्तान, पाकिस्तान तथा बांग्लादेश से धार्मिक छल के कारण भारत में आश्रय लिए हिन्दू, सिक्ख, बौद्ध, जैन, पारसी तथा ईसाई समुदाय के लोगों को नागरिकता प्रदान करने के संदर्भ में है ।

२. यह कानून संविधान की धारा २९ के अंतर्गत पूर्वाेत्तर राज्यों के लोगों के सांस्कृतिक अधिकारों का हनन नहीं करता ।